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निजी स्कूलों की बसों के टैक्स व पासिंग पर फाइन लगाना बंद करे सरकार : कुंडू

हिसार, 15 मई (वार्ता) हरियाणा प्राइवेट स्कूल संघ ने आज निजी स्कूलों की बसों के टैक्स व पासिंग पर जुर्माना लगाए जाने की निंदा करते हुए सरकार से इसे बंद करने को कहा।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष व एनआरएम ग्रुप के राष्ट्रीय अध्यक्ष सत्यवान कुंडू, संरक्षक तेलूराम रामायणवाला, राज्य उपप्रधान संजय धत्तरवाल, एडवाइजर कृष्णचंद शर्मा व राजकुमार पाली ने यहां जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि सरकार ने 24 मार्च से लॉकडाउन शुरू किया था। उस समय घोषणा की थी कि जब तक लॉकडाउन रहेगा, तब तक बसों की पासिंग व टैक्स पर कोई फाइन नहीं लगेगा लेकिन लॉकडाउन के दौरान जिन स्कूली बसों का टैक्स एवं पासिंग ड्यू थी, अब पोर्टल खुलने के बाद बसों की पासिंग पर 50 रूपए प्रतिदिन व टैक्स पर दस रूपए प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना वसूला जा रहा है। इसके अलावा जिन स्कूलों ने बसें बेची या खरीदी है और 31 मार्च तक की एनओसी क्लीयर कर दी थी, उन गाड़ियों पर लगभग 25 हजार रुपए जुर्माना बनाया जा रहा है, जोकि सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान तो सरकार को बस टैक्स माफ करना चाहिए ताकि प्राइवेट स्कूलों को राहत मिल सके। उन्होंने सरकार की इस दोहरी नीति पर सवाल उठाते हुए इसकी कड़े शब्दों में निंदा की है।
श्री कुंडू ने कहा कि सरकार कह रही है कि निजी स्कूल तीन तीन महीने फीस, वार्षिक शुल्क, ट्रांसपोर्ट चार्ज नहीं ले सकते और केवल एक-एक महीने की फीस भी सक्षम अभिभावकों से ले सकते हैं। ऐसे में सक्षम अभिभावकों द्वारा भी कोई भी फीस जमा नहीं करवाई जा रही। वहीं सरकार आदेश दे रही है कि स्कूल स्टाफ को वेतन देना होगा। बिना फीस आए निजी स्कूल वेतन देने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि सरकार को निजी स्कूलों के स्टाफ के वेतन के लिए मदद करनी चाहिए, क्योंकि प्रदेश में 90 प्रतिशत स्कूलों की आमदनी व खर्चा बराबर है। स्कूलों की आमदनी केवल फीस के माध्यम से ही है। अगर स्कूलों को फीस नहीं मिलेगी तो स्कूल का संचालन मुश्किल हो जाएगा।
श्री कुंडू ने कहा कि ऐसी विषम परिस्थितियों में स्कूलों के भवनों की लोन किश्त, बिजली बिलों की राशि, वाहनों के कर्ज की किश्त का भुगतान, शिक्षकों व गैर शिक्षकों के वेतन का भुगतान आदि खर्चों के रूप में स्कूल संचालक कराह रहे हैं। उन्होंने सरकार से राहत पैकेज की मांग करते हुए कहा कि इन विषम परिस्थितियों में भी निजी स्कूल सरकार की मदद कर रहे हैं, जिसका सीधा उदाहरण निजी स्कूलों में कोरेंटाइन सेंटर स्थापित करना है। इसके अलावा जब भी सरकार के अधीन शिक्षा विभाग को परीक्षा आदि के संचालन के लिए भवन व फर्नीचर की जरूरत होती है तो निजी स्कूल संचालक अपने बच्चों की पढ़ाई को स्थगित करके सरकार की मदद करते आए हैं, जिसका कोई खर्च नहीं लिया जाता। वहीं चुनाव आदि के समय में सरकार को बसों की जरूरत होती है तो सबसे पहले निजी स्कूलों के संचालक आगे आकर सहायता करते हैं। अगर अभिभावक अपने बच्चों की फीस का भुगतान समय पर नहीं करेंगे तो अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस गुणवत्ता भरी शिक्षा प्रदान करने वाले निजी स्कूल बंद होने की कगार पर आ जाएंगे। वहीं सरकार भी अपनी दोहरी नीतियों से स्कूल संचालकों पर तलवारें तान रही है। जिसे किसी भी कीमत पर सहन नहीं किया जाएगा। उन्होंने अभिभावकों से भी आह्वान किया कि वे निजी स्कूलों की मजबूरी को समझें और समय पर बच्चों की फीस का भुगतान करें।
सं महेश विजय
वार्ता
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