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लाकडाउन में केन्द्र तथा आरबीआई की राहत घोषणा महज कागजों तक सीमित

चंडीगढ़ ,26 मई (वार्ता) हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने कहा है कि कोरोना महामारी में लॉकडाउन के चलते केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक की लोगों के राहत की घोषणाएं सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई हैं।
उन्होंने आज यहां एक बयान में कहा कि केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक की घोषणाओं का बैंक पालन नहीं कर रहे हैं जिस कारण उद्योग धंधों से आम लोगों को कोई राहत नहीं मिल पा रही। जो फैसले लागू भी किए गए हैं, उनसे राहत की बजाय लोगों पर दोहरी मार पड़ रही है। आरबीआई ने कोरोना महामारी-लॉकडाउन से प्रभावित ग्राहकों को राहत देने के लिए ऋण चुकाने के लिए छह महीने की रियायत दी है।
उनके अनुसार एक नजर में तो यह घोषणा काफी सहूलियत वाली दिखती है लेकिन इस अवधि में कर्ज पर ब्याज चलता रहेगा, जिससे आने वाले समय में कर्ज धारकों को दोहरा झटका लगेगा। रियायत खत्म होने पर इन छह महीनों का कुल जितना ब्याज होगा उसका एकमुश्त भुगतान करना पड़ेगा। साथ ही इसके तहत ग्राहकों को बकाया ब्याज पर भी ब्याज चुकाना पड़ सकता हैं जो कर्जधारकों पर दोहरी मार और इनके साथ राहत के नाम पर भद्दा मजाक हैं।
कुमारी सैलजा ने कहा कि बैंक उद्योग धंधों की अपनी असेसमेंट रेटिंग करते हैं। उस रेटिंग और असेसमेंट के अनुसार उद्योग धंधे अतिरिक्त ऋण के पात्र नहीं रह जाते और उन्हें ऋण नहीं मिल पाता है। सरकार ने ऋण का ब्याज और किश्त गत एक मार्च से 31 अगस्त तक 6 माह के लिए एक नया खाता खाता खोलकर उसमें डालने के आदेश दिए हैं और उस ऋण और ब्याज को 31 मार्च 2021 तक वसूल करना आवश्यक है। इससे उद्योग धंधों पर दोहरी मार मार पड़ रही है। आज की स्थिति में वह यह ब्याज और ऋण की किश्त 31 मार्च 2021 तक देने में सक्षम नहीं होंगे।
उन्होंने कहा कि आरबीआई ने ब्याज दर रेपो रेट साढे 6 प्रतिशत से घटाकर 4 प्रतिशत कर दिया है। इसी प्रकार ऋण पर ब्याज दर कम से कम 2 प्रतिशत की जानी चाहिए, पर इसका लाभ ग्राहकों को नहीं मिल पा रहा हैं। आरबीआई सभी बैंकों को निर्देश दे कि वह ग्राहकों का ऋण रेपो रेट से लिंक करें और जैसे ही रेपो रेट बदले वैसे ही ऋण पर ब्याज दरें भी कम की जाएं। सभी ऋणों को रिस्ट्रक्चर कराने के आदेश दिए जाएं, जिसमें मोराटोरियम कम से कम एक वर्ष का हो। ऋण खाते रिस्ट्रक्चर करवाकर उनको अतिरिक्त ऋण भी उपलब्ध करवाया जाए। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही छूट के महीनों का ब्याज पूरी तरह से माफ किया जाए।
उनके अनुसार हमारे उद्योग धंधे पहले ही सरकार की नाकामी के कारण मंदी से जूझ रहे थे, वहीं अब कोरोना महामारी और इसके चलते अचानक से बिना तैयारियों के लगाए गए लॉकडाउन के कारण उद्योग धंधे, रोजगार चौपट हो चुके हैं। दिखावा न कर लोगों को राहत देने की अत्यंत आवश्यकता है। इससे उद्योग धंधों और लोगों पर जो मार पड़ रही है, वह कुछ हद तक कम हो सकेगी।
शर्मा
वार्ता
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