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कपास की खेती का रकबा 12.5 लाख एकड़ तक बढ़ने की संभावना

चंडीगढ़, 26 मई (वार्ता) पंजाब के कृषि विभाग की ओर से व्यापक स्तर पर आरंभ किए गए फसल विविधीकरण प्रोग्राम को किसानों की ओर से मिले समर्थन के तहत इस साल कपास की खेती का रकबा 12.5 लाख क्षेत्रफल बढ़ने का लक्ष्य पूरा होने की संभावना है ।
ज्ञातव्य है कि पिछले साल यह आकड़ा 9.7 लाख एकड़ था। भूजल स्तर के तेजी से गिरने के कारण किसानों को धान के स्थान पर अन्य फसलें उगाने से जमीनी पानी की बचत होगी । राज्य के पानी जैसे बहुमूल्य संसाधन को बचाने, ज़मीन की उपजाऊ शक्ति में सुधार लाने, सर्दियों में पराली जलाने की समस्या से छुटकारा दिलाने में मदद मिलेगी, जिससे वातावरण में सुधार होगा।
यह जानकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव विकास विश्वजीत खन्ना ने आज यहां दी । उन्होंने बताया कि इन जि़लों में अब तक 10 लाख एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में कपास की बुवाई की जा चुकी है और निर्धारित लक्ष्य बहुत जल्द पूरा का लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के कारण कर्फ्यू / तालाबन्दी के मद्देनजऱ कृषि विभाग ने बीटी कॉटन के बीज और खादों आदि का समय पर प्रबंध कर लिया था, जिससे कपास की बीजाई में कोई रुकावट नहीं आई। दक्षिण पश्चिम जिलों में कपास, खरीफ की फ़सल की दूसरी बड़ी रिवायती फ़सल है, जिस कारण यह इलाका ‘कपास पट्टी’ के नाम से मशहूर है।
उन्होंने बताया कि मालवा पट्टी के इन जि़लों में पिछले साल 9.80 लाख एकड़ (3.92 लाख हेक्टेयर) क्षेत्रफल में कपास की बिजाई हुई और सरकार ने इस साल 12.5 लाख एकड़ (5 लाख हेक्टेयर) क्षेत्रफल इस फ़सल अधीन लाने का लक्ष्य निश्चित किया हुआ है, जो जून के पहले हफ़्ते तक पूरा होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि पिछले सालों में मई महीने के आखिर तक बीजाई लगभग मुकम्मल हो जाती थी, परन्तु इस बार गेहूँ की कटाई 15 दिन देरी से 15 मई को शुरू होने से बीजाई का काम कुछ दिन आगे करना पड़ा है।
श्री खन्ना ने बताया कि बठिंडा जि़ले में कपास की खेती अधीन सबसे अधिक क्षेत्रफल आया है, जहाँ 3.39 लाख एकड़ क्षेत्रफल में बीजाई हो चुकी है। इसके बाद फाजि़ल्का में 2.38 लाख एकड़, मानसा में 2.10 लाख एकड़, श्री मुक्तसर साहिब 2.02 लाख एकड़, संगरूर में 7800 एकड़, फऱीदकोट में 5800 एकड़, बरनाला में 1870 एकड़ और मोगा में 1257 एकड़ क्षेत्रफल में कपास में बुवाई हो चुकी है।
श्री खन्ना ने बताया कि कृषि विभाग ने सम्बन्धित विभागों की सहायता के साथ खाली प्लॉटों, सडक़ों के किनारे, खुले मैदान से खरपतवार हटाने के लिए भी ज़ोरदार मुहिम चलाई हुई है। राज्य भर के मुख्य कृषि अफसरों को भी इस कार्य को मिशन के तौर पर मुकम्मल करने के आदेश दिए गए हैं।
उन्होंने बताया कि राज्य में नकली बीजों की तस्करी रोकने के लिए मुख्य कृषि अफसरों और स्टाफ को सख़्त हिदायतें जारी की गई थीं, क्योंकि यह बीज रस चूसने वाले कीड़ों को आकर्षित करता है, जिससे फ़सल को भारी नुकसान होता है।
कृषि विभाग के निदेशक सुतंतर कुमार ऐरी ने बताया कि फ़सल विविधीकरण प्रोग्राम को ज्य़ादा कामयाब बनाने के लिए कपास पट्टी के जि़लों के दौरे करके सम्बन्धित मुख्य कृषि अफसरों और फील्ड स्टाफ के साथ बैठक की और कपास की बुवाई के मौके पर कपास उत्पादकों को किसी किस्म की मुश्किल पेश न का निर्देश दिया।
शर्मा
वार्ता
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