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सब्सिडी समाप्त होने पर बिजली किसानों और उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो जाएगी

जालंधर, 8 जून (वार्ता) ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केन्द्र सरकार से इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 बिल वापस लेने की माँग करते हुए कहा कि इससे राज्य सरकारों और उपभोक्ताओं दोनों के अधिकारों का हनन होगा।
फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने सोमवार को कहा कि फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत् मंत्री आर के सिंह को पत्र प्रेषित कर कहा कि केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रांतों में बिजली वितरण के निजीकरण हेतु आदेश जारी कर दिया है जिसका इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में कोई उल्लेख भी नही है इससे यह प्रतीत होता है कि केंद्र सरकार बिजली के निजीकरण हेतु जल्दी में है जबकि बिजली भारत के संविधान में समवर्ती सूची में है और इस पर राज्य सरकार का बराबर का अधिकार है |
उन्होंने बताया कि देश के 09 प्रांतों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के कई प्राविधानों का प्रबल विरोध करते हुए केंद्र सरकार को अपनी टिप्पणी भेज दी है | तामिलनाडु , केरल , तेलंगाना , पुडुचेरी , पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों ने सीधे प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर बिल का प्रबल विरोध किया है और इसे वापस लेने की मांग की है | महाराष्ट्र , बिहार और झारखंड के ऊर्जा मंत्रियों ने केंद्रीय विद्युत् मंत्री को पत्र भेजकर बिल का विरोध किया है | उन्होंने कहा कि देश के 09 राज्यों के विरोध को देखते हुए केंद्र सरकार को बिल वापस लेना चाहिए और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए |
श्री गुप्ता ने कहा कि किसानों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं को मिलने वाली सब्सिडी समाप्त करने पर उन्हे बिजली की पूरी लागत चुकानी पड़ेगी और परिणामस्वरूप बिजली किसानों और गरीब घरेलू उपभोक्ताओं की पहुँच से बाहर हो जाएगी जिसका देश के खाद्यान्न उत्पादन पर सीधा प्रतिकूल प्रभाव पडेगा|
ठाकुर जितेन्द्र
वार्ता
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