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हिमाचल प्रदेश में सब्जियों के उचित दाम न मिलने पर पारंपरिक फसलों की ओर मुड़े किसानः डाॅ. मोहिंद्र

शिमला, 10 जून (वार्ता) कोरोना संकट के चलते हिमाचल प्रदेश के किसानों को नकदी फसलों के उचित दाम न मिलने पर शिमला जिले में किसानों का रूझान पारंपरिक फसलों की ओर बढ़ने लगा है और इस वर्ष जिला में किसानों ने मक्की की रिकार्ड बिजाई की गई है ताकि वर्ष भर का अन्न खरीदने की नौबत न आए।
कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष जिला के किसानों को मक्की का 300 क्विंटल उन्नत किस्म का बीज उपदान पर उपलब्ध करवाया गया है, जिसमें मक्की की प्रमुखतः किस्म बी-52, 5992, के-25 गोल्ड और बायो-9220 शामिल है। जिसकी पुष्टि उप निदेशक कृषि शिमला डॉ. मोहिंद्र भवानी ने आज यहां की ।
उन्होंने बताया कि किसानों को मक्की का बीज 45 रूपये प्रति किलोग्राम उपदान पर उपलब्ध करवाया गया है तथा जिला में करीब 70 प्रतिशत से अधिक किसानों ने मक्की की बिजाई पूरी कर ली है। जिला में इस वर्ष करीब 35 हजार क्विंटल मक्की का उत्पादन होने की उम्मीद है जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी अधिक है।
ज्ञातव्य है कि सोलन के बाद शिमला जिला के निचले इलाकों में बेमौसमी सब्जियों का सर्वाधिक उत्पादन होता है, लेकिन लाकडाउन के चलते इस वर्ष किसानों को मटर और गोभी के उचित दाम नहीं मिल पाए। विपणन की व्यवस्था न होने के कारण फूल भी खेतों में ही सड़ गए और निकट भविष्य में भी किसानों को टमाटर, शिमला मिर्च, फ्रांसबीन इत्यादि सब्जियों के उचित दाम मिलने की भी उम्मीद नहीं है। पिछले काफी वर्षों से इस क्षेत्र में पांरपरिक फसलों की जगह बेमौसमी सब्जियों का प्रचलन काफी हो गया था और किसानों द्वारा पारंपरिक फसलें उगानी बंद कर दी गई थी।
डॉ. मोहिंद्र ने बताया कि शिमला जिला में 12319 हैक्टेयर भूमि पर 120485 मिट्रिक टन खरीफ फसलों का उत्पादन होता है जिसमें सर्वाधिक मक्की की फसल शामिल हैं। किसानों को शिमला मिर्च, खीरा, घीया, बीन, टमाटर, पशुओं के लिए चारा के बीज के अतिरिक्त पॉवर, टिल्लर, स्प्रे पंप, चार काटने की मशीन, पानी के टब इत्यादि कृषि उपकरण पर किसानों को सब्सिडी दी गई ।
सं शर्मा
वार्ता
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