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परिवारवाद से बचने के लिये चुनावों में भी ड्रा सिस्टम से तय हो आरक्षित सीटें

हिसार, 25 जून (वार्ता) हरियाणा विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति वर्ग के लिए सत्रह विधानसभा क्षेत्रों को रिजर्व किया गया है लेेकिन इसमें भी परिवारवाद को हावी न होने देने के लिये रिजर्व सीट चुनने के सिस्टम में बदलाव होना चाहिये ।
पिछले कई दशकों से कुछ निश्चित विधानसभा क्षेत्रों को आरक्षित विधानसभा सीटों के तौर पर रिजर्व किया गया है। इस बारे में बात करते हुए नेशनल अलायन्स फॉर दलित ह्यूमन राइट्स के संयोजक अधिवक्ता रजत कलसन ने आज यहां कहा कि अब समय आ गया है कि विधानसभा चुनाव के लिए रिजर्व सीटों को चुनने के सिस्टम में बदलाव किया जाए।
उन्होंने कहा कि जिस तरह प्रदेश सरकार ने ग्राम पंचायतों के चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए रिजर्व पंचायत चुनने के लिए ड्रा सिस्टम इजाद किया है, इसी तर्ज पर हरियाणा विधानसभा में भी रिजर्व सीटों के हलके तय करने के लिए लॉटरी सिस्टम या ड्रा सिस्टम शुरू किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हर विधानसभा चुनाव से पहले 90 विधानसभा हलकों की पर्चियां डालकर उनमें से 17 पर्चियां निकालकर लाटरी सिस्टम के आधार पर आरक्षित विधानसभा सीटें तय की जानी चाहिए। पिछले कई दशकों से कुछ निश्चित विधानसभा क्षेत्रों को ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घोषित किया गया है जिससे उन हलकों में परिवारवाद हावी हो गया है।
श्री कल्सन ने कहा कि यदि आरक्षित विधानसभा सीटों का बंटवारा लाटरी ड्रा सिस्टम के आधार पर किया जाए तो इससे हर विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जाति समुदाय का नेतृत्व पैदा होगा तथा प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र से अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवारों के विधानसभा में पहुंचने की उम्मीदें बन जाएंगी। उन्होंने कहा कि जब सरकार ग्राम पंचायतों के चुनावों में रिजर्व सीटों का बंटवारा ड्रा सिस्टम से कर सकती है तो विधानसभा के लिए आरक्षित सीटों का बंटवारा भी ड्रा सिस्टम से किया जा सकता है तथा यह बिल्कुल भी गैरकानूनी व असंवैधानिक नहीं होगा।
उनके अनुसार वह इस बारे में प्रदेश सरकार से अपील करते हैं इस बारे में तुरंत कानून बनाकर नोटिफिकेशन जारी करें तथा आगामी विधानसभा चुनाव में रिजर्व सीटों के हलकों का बंटवारा ड्रॉ सिस्टम के आधार पर हो।
सं शर्मा
वार्ता
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