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जल संरक्षण हेतु हरियाणा में चरणबद्ध ढंग से तालाबों का होगा पुरनोद्वार: दुष्यंत

चंडीगढ़, 29 जून(वार्ता) हरियाणा के उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा है कि कैथल जिले का क्योड़क गांव प्रदेश का ऐसा पहला गांव होगा जिसके तालाब के पानी को उपचारित कर सिंचाई और अन्य कार्यों के लिए उपयोग किया जाएगा।
श्री चौटाला ने कहा कि यह एक मॉडल तालाब होगा जिसका अनुसरण हरियाणा तालाब एवं अपशिष्ट जल प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के तालाबों का पानी उपचारित करने के लिए अपनाई जा रही तीन पोंड और पांच पोंड प्रणाली में किया जाएगा। उन्हाेंने कहा कि भू-जल संरक्षण के लिए क्रियान्वित की जा रही ‘‘मेरा पानी-मेरी विरासत’’ योजना के बाद प्रदेश में पानी की एक-एक बूंद का उपयोग हो, इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है तथा तालाबों के पानी को उपचारित कर पुन: उपयोग में लाने की योजनाएं तैयार करना भी इसी कड़ी का हिस्सा है।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि क्योड़क के तालाब का लगभग 95 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है तथा सम्भवत: 15 जुलाई तक इसे लोकार्पित कर दिया जाएगा। पहले चरण में जिन 18 तालाबों को मॉडल तालाब के रूप में विकसित किया जाएगा उनमें कैथल जिले का क्योड़क गांव का लगभग 35 एकड़, झझर जिले का 3.9 एकड़ में जाखौदा गांव का, करनाल जिले के 8.5 एकड़ में साग्गा का, 27 एकड़ में पाढा गांव का, 10.5 एकड़ में काछवा का तथा 11 एकड़ में गौंदर गांव का, एक एकड़ में अम्बाला जिले का तेपला गांव का, 5.26 एकड़ में कुरुक्षेत्र जिले का दयालपुर गांव का, सोनीपत जिले के कासंडी गांव के 5.5 एकड़ तथा 2.5 एकड़ के दो तालाब, रोहतक जिले के बालद गांव का 3 एकड़ क्षेत्र का, बहु-अकबरपुर के आठ और एक एकड़ के दो तालाब, निंडाना टिकरी का 8.5 एकड़ तथा बनियानी गांव का 2.05 एकड़ का तालाब, पलवल जिले के 22 एकड़ क्षेत्र में औरंगाबाद गांव का तालाब तथा 3.5 एकड़ क्षेत्र में हिसार जिले का राखीगढ़ी का तालाब शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि मॉडल तालाब के लिए 11 बिंदुओं पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिनमें तालाब में इनलेट और आउटलेट का आवश्यक होना, तालाबों के ओवरफलोइंग का उचित समाधान करना, तालाब में पानी की न्यूनतम गहराई आठ फुट बनाए रखना, तालाब में समतल सतह, हरित पट्टी तथा जल ग्रहण क्षेत्र का होना, तालाब में डीपीडी तार की जाली को होना, तालाब की ग्रीन बेल्ट में प्राकृतिक पेड़-पौधे होने चाहिए। तालाब की जैव विविधता होनी चाहिए अर्थात मछली, कछुए, मेंढक, सांप, कमल के फूल की खेती, बत्तख, कैना तथा तालाब की प्रकृति के अनुसार जंगली घास और अन्य जड़ी बूटी होनी चाहिए। गायों के लिए एक मार्ग और गऊ घाट तथा अन्य जानवरों लिए मार्ग का प्रावधान होना चाहिए। तालाब के सौंदर्यीकरण तथा इसकी गहराई और डी-सिल्टिंग समय पर होनी चाहिए। तालाब के तट साफ होने चाहिए तथा चारों ओर रिटेनिंग वॉल का प्रावधान किया जाना शामिल है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में प्रदेश में कुल 16,350 तालाब हैं, जिनमें 15,910 तालाब ग्रामीण और 440 शहरी क्षेत्रों में हैं तथा सभी तालाबों की जीआईएस मैपिंग कर पोन्ड एटलस तैयार की गई है। ग्रामीण क्षेत्रों के 2606 तालाब प्रदूषित तथा ओवरफ्लोईंग, 7963 प्रदूषित हैं लेकिन ओवरफ्लोविंग नहीं हैं, 4413 तालाबों का पानी साफ है। प्रदूषित तालाबों के पानी को उपचारित करने के लिए कंस्ट्रक्टड वेटलैंड तकनीक का उपयोग किया जा रहा तथा हर तालाब की पानी की निकासी के लिये सौर पम्प प्रणाली लगाई जा रही है।
रमेश 1810वार्ता
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