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मिर्चपुर कांड : सुरक्षा बढ़ाने की मांग लेकर गई पीड़िता को शाम तक बिठाए रखा एसपी कार्यालय में

हिसार, 02 जुलाई (वार्ता) हरियाणा में दस साल पुराने मिर्चपुर कांड में अपने पति व बेटी को खोने वाली एक बुजुर्ग महिला को, जो अपनी सुरक्षा बढ़ाए जाने की मांग की अर्जी लेकर गई थीं, हांसी पुलिस अधीक्षक कार्यालय में शाम तक बिठाए रखा गया और एसपी से मुलाकात भी नहीं करवाई गई।
कमला देवी ने आज बताया कि पिछले दिनों हरियाणा पुलिस ने उनकी सुरक्षा कम कर दी थी, जिसके बाद वह कल अपने पुत्र प्रदीप के साथ पुलिस अधीक्षक से सुरक्षा बढ़ाने की प्रार्थना करने गईं थीं। उन्होंने कहा कि उन्होंने हांसी के एसपी से मुलाकात के तरीकों के अनुसार वहां पर मौजूद पुलिसकर्मी को पूरी जानकारी व अपनी अर्जी दे दी थी।
बुजुर्ग महिला के अनुसार उन्हें सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक एसपी कार्यालय के सामने बिठा कर रखा गया और बाद में कह दिया गया कि एसपी साहब चले गये हैं, अब मुलाकात नहीं हो सकती।
पीड़िता ने आरोप लगाया कि जो पत्र वह एसपी के नाम ले गई थीं, उसमें भी शिकायत विभाग के पुलिस कर्मचारी की तरफ से नुक्ताचीनी की गई तथा गलतियां बताई गईं।
पीड़िता ने कहा कि उन्हें, उनके बेटों को आज भी जान का भारी खतरा है क्योंकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 33 लोगों को सजा सुनाई थी जिनमें से कुछ आरोपियों ने आज तक भी पुलिस व अदालत के सामने समर्पण नहीं किया है। पीड़िता ने कहा कि मिर्चपुर कांड की मुख्य गवाह होने के नाते इन फरार आरोपियों से आज भी उन्हें व उनके परिवार को खतरा है।
उन्होंने कहा कि अगर उनके साथ कोई भी अनहोनी होती है तो उसके लिए हांसी पुलिस व हरियाणा सरकार जिम्मेवार होंगे।
इस बीच पुलिस प्रवक्ता के अनुसार जानबूझकर मुलाकात नहीं कराने के आरोप निराधार हैं। जिस समय यह बुजुर्ग महिला एसपी से मिलने आई थीं, उसी समय उसको बता दिया गया था कि एसपी दौरे पर गए हुए हैं, लेकिन वह अपनी मर्जी से वहां कुछ देर बैठी रहीं और उसके बाद लौट गईं। पुलिस ने उनको नहीं बैठाया था।
21 अप्रैल 2010 को मिर्चपुर में जाति विशेष के लोगों ने दलित बस्ती में आग लगा दी थी जिसमें पीड़िता के पति ताराचंद तथा बेटी सुमन को जिंदा जलाकर मार दिया था। इस मामले में उच्चतम न्यायालय ने मामले की सुनवाई हिसार से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित की थी। पहले दिल्ली की रोहिणी अदालत से 15 लोगों को सजा हुई थी जिसके बाद पीड़ित पक्ष ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की थी, जिसमें 12 लोगों को उम्रकैद की सजा समेत कुल 33 लोगों को सजा सुनाई गई।
सं महेश विजय
वार्ता
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