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मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन

शिमला, 03 जुलाई (वार्ता) सीटू समर्थित विभिन्न ट्रेड यूनियनों ने केंद्र और हिमाचल प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेश भर में प्रदर्शन किया ।
शिमला में डीसी ऑफिस पर जोरदार प्रदर्शन किया गया जिसमें सैंकड़ों मजदूर शामिल रहे। ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच के राज्य संयोजक डॉ कश्मीर ठाकुर, इंटक प्रदेशाध्यक्ष बाबा हरदीप सिंह, एटक प्रदेशाध्यक्ष जगदीश चंद्र भारद्वाज व सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा ने केंद्र सरकार से श्रम कानूनों में मजदूर विरोधी परिवर्तन की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की तथा जिला उपायुक्तों के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपे । मजदूरों को कोरोना काल के तीन महीनों का वेतन देने, उनकी छंटनी पर रोक लगाने, हर व्यक्ति को महीने का दस किलो मुफ्त राशन देने और 7500 रुपये की आर्थिक मदद की मांग की गई।
उन्होंने कहा कि देश में तालाबंदी के दौरान कई राज्यों में श्रम कानूनों को ‘खत्म करने’ के विरोध में हिमाचल में जिला, ब्लॉक मुख्यालयों व कार्यस्थलों पर जोरदार प्रदर्शन किए गए।उन्होंने कहा कि केन्द्र तथा प्रदेश सरकारों को चेताया कि वे मजदूर विरोधी कदमों से हाथ पीछे खींचें । कोरोना महामारी के इस संकट काल को शासक वर्ग व सरकारें मजदूरों खून चूसने व उनके शोषण को तेज करने के लिए इस्तेमाल कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, राजस्थान में श्रम कानूनों में बदलाव इसी प्रक्रिया का हिस्सा है। कारखाना अधिनियम में तब्दीली से काम के आठ से घंटे से बढ़ाकर बारह घंटे कर दिया है।
मजदूर यूनियनों के नेताओं ने कहा कि मजदूरों की छंटनी के खिलाफ आवाज तेज की जायेगी । फैक्टरी की पूरी परिभाषा बदलकर दो तिहाई मजदूरों को श्रम कानूनों के दायरे से बाहर कर दिया है। ठेका मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे। मजदूरों की हड़ताल पर अंकुश लगेगा और छंटनी भत्ता से वंचित होना पड़ेगा। इन मजदूर विरोधी कदमों को रोकने के लिए ट्रेड यूनियन संयुक्त मंच ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है व श्रम कानूनों में बदलाव को रोकने की मांग की है।
सं शर्मा
वार्ता
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