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हरियाणा सरकार स्थानीय 75 प्रतिशत लोगों को रोजगार देने हेतु लाएगी अध्यादेश

चंडीगढ़, 06 जुलाई(वार्ता) हरियाणा सरकार राज्य में बेरोजगारी की समस्या को प्राथमिकता के आधार पर हल करने के उदेश्य से ‘हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार अध्यादेश, 2020’ लाएगी।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में आज यहां हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस सम्बंध में प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। अध्यादेश का प्रारूप मंत्रिमंडल की आगामी बैठक में लाया जाएगा जिसके तहत राज्य में स्थित कम्पनियों, सोसाइटियों, ट्रस्टों, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप फर्मों, पार्टनरशिप फर्मों आदि में 50 हजार रुपये प्रतिमाह से कम वेतन वाली नौकरियों के मामले में 75 प्रतिशत पर स्थानीय उम्मीदवारों को रखा जाएगा। हालांकि, नियोक्ता के पास एक जिले से केवल 10 प्रतिशत स्थानीय उम्मीदवारों की भर्ती का विकल्प होगा। यदि उद्योग की किसी विशिष्ट श्रेणी के लिए उपयुक्त स्थानीय उम्मीदवार उपलब्ध नहीं होते हैं तो छूट खंड का भी प्रावधान किया जाएगा।
बैठक में शहरी स्थानीय निकायों की पांच एकड़ तक भूमि गौशालाओं, बेसहारा पशु प्रबंधन केंद्र और नंदीशाला के लिए आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
मंत्रिमंडल ने ट्रस्टों / निजी संस्थानों को सामाजिक या धार्मिक/ धर्मार्थ उद्देश्य के लिए शहरी स्थानीय निकाय विभाग की भूमि के आबंटन हेतु नीति को स्वीकृति प्रदान की गई। राज्य सरकार और शहरी स्थानीय निकाय विभाग को प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर सामुदायिक उद्देश्यों के लिए शहरी स्थानीय निकाय भूमि के आबंटन हेतु विभिन्न धार्मिक, सामाजिक और सामुदायिक समूहों व धर्मार्थ संस्थानों से आवेदन / प्रतिवेदन प्राप्त हो रहे थे। फैसले से इन संगठनों को भूमि आवंटन किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने प्रतिवेदनों को लेकर सम्बंधित अधिनियमों के प्रावधानों, नियमों, नीतियों, दिशा-निर्देशों का अध्ययन करने तथा इसमें एकरूपता लाने के लिए एक प्रारूप प्रस्ताव तैयार करने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव (राजस्व) की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था।
नई नीति के अनुसार पूजा स्थल, सामुदायिक केंद्र, धर्मशाला, जंजघर, बारातघर आदि के लिए सम्बंधित शहरी स्थानीय निकाय की तीन हजार वर्ग मीटर तक भूमि दी जा सकेगी। इसके तहत, दो हजार वर्ग मीटर तक बिक्री की अंतरिम दर कलेक्टर रेट का 50 प्रतिशत, क्षेत्र के विकास की आनुपातिक लागत और इस पर अन्य आकस्मिक शुल्क लगाया जाएगा। इसी तरह, 2001-3000 वर्ग मीटर तक, कलेक्टर रेट का 100 प्रतिशत, क्षेत्र के विकास की आनुपातिक लागत और इस पर अन्य आकस्मिक शुल्क लगाया जाएगा।
बैठक में कालका और पिंजौर क्षेत्रों को नगर निगम, पंचकूला की सीमाओं से अलग करने और अलग नगर परिषद, कालका के गठन की स्वीकृति प्रदान की गई। इससे फैसले से कालका एवं पिंजौर क्षेत्र के लिए एक सांझा नगर निकाय बनने से कालका और पिंजौर क्षेत्र के लोगों के लिए निकटतम स्थल पर विभिन्न पालिका सेवाओं का लाभ उठाना अत्यंत सुविधजनक होगा, जिससे समय, दूरी और लागत में कमी आएगी।
मौजूदा नगर निगम, पंचकूला का क्षेत्र अब दो क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा। पंचकूला क्षेत्र में 21 गांव और पूर्ववर्ती नगर परिषद, पंचकूला का क्षेत्र शामिल होगा। पिंजौर में 22 और कालका में 21 गांव शामिल होंगे। मंत्रिमंडल ने नवगठित नगर निगमों का पहला चुनाव उनके गठन की तिथि से पांच वर्ष की निर्धारित सीमा से बढ़ाकर साढ़े पांच वर्ष के अंदर आयोजित कराने के लिए हरियाणा नगर निगम अधिनियम, 1994 की धारा 4(4) में संशोधन करने के लिए अध्यादेश जारी करने का भी निर्णय लिया गया। उल्लेखनीय है कि नगर निगम, सोनीपत के मामले में उक्त पांच वर्ष की अवधि गत पांच जुलाई को पूरी हो गई है। वार्डबंदी तथा सीटों और वार्डों के आरक्षण की प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है, लेकिन कोविड-19 महामारी के चलते नगर निगम, सोनीपत के चुनाव करा पाना सम्भव नहीं है।
बैठक में हरियाणा स्वास्थ्य विभाग भेषजिक (ग्रुप क) सेवा नियम, 2019 बनाने के स्वास्थ्य विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। पहले, सरकार द्वारा मुख्यालय पर उप-निदेशक (फार्मेसी) का पद स्वीकृत करने बारे स्वीकृति जारी की गई थी। परंतु उस समय द्वितीय श्रेणी (ग्रुप ख) का कोई भी पद औषधाकारक तथा मुख्य औषधाकारक के कैडर में नहीं था और उप-निदेशक (फार्मेसी) के सेवा नियम भी तैयार नहीं थे। सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में मुख्य औषधाकारक के पद को तुरंत प्रभाव से द्वितीय श्रेणी (ग्रुप ख) घोषित किया था। इसलिए उप-निदेशक (फार्मेसी) का पद अब मुख्य औषधाकारक को पदोनति देकर भरा जा सकता है।
मंत्रिमंडल ने प्रदेश में लॉकडाउन प्रतिबंधों के दौरान मोटर यान अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए हरियाणा पुलिस द्वारा जारी किए गए चालानों के प्रशमन (कंपाउंडिंग) का निर्णय लिया गया। उल्लेखनीय है कि हरियाणा पुलिस द्वारा प्रदेश में लॉकडाउन प्रतिबंधों के दौरान मोटर यान अधिनियम, 1988 के प्रावधानों के उल्लंघन के लिए 24 से 31 मार्च, 2020 तक की अवधि के दौरान अनेक वाहनों को इम्पाउंड किया गया। कोविड-19 महामारी के समय जन-शिकायतों तथा लॉकडाउन के चलते उपजे हालात के दृष्टिगत, इन तीन श्रेणियों के वाहनों, जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, से कम्पाउंडिंग फीस के तौर पर दुपहिया वाहन के लिए 500 रुपये, कार और जीप के लिए 1000 रुपये तथा परिवहन वाहनों के लिए 2000 रुपये की अधिकतम जुर्माना राशि वसूल की जाएगी। इन उल्लंघनों के प्रशमन के लिए सम्बंधित आरटीए सचिवों को अधिकृत किया गया है।
रमेश2008वार्ता
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