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कोविड फर्जी रिपोर्ट मामले में पुलिस व प्रशासनिक मशीनरी बचा रही दोषियों को : मजीठिया

चंडीगढ़, 13 जुलाई (वार्ता) कोविड-19 जांच की फर्जी रिपोर्ट मामले में शिरोमणि अकाली दल ने आज आरोप लगाया कि अमृतसर स्थित तुली प्रयोगशला और ईएमसी अस्पताल को पुलिस व प्रशासनिक अफसर कांग्रेस नेताओं के इशारे पर बचा रहे थे।
यहां जारी बयान में पूर्व मंत्री विक्रम मजीठिया ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस दावे में कोई दम नहीं है कि प्रयोगशाला प्रबंधन के खिलाफ मामला सतर्कता विभाग से वापस लेकर जिला पुलिस को इसलिए दिया गया कि उसमें कोई अधिकारी संलिप्त नहीं था।
श्री मजीठिया ने कहा कि मामले में 20 दिनों के बाद भी कोई गिरफ्तारी न होना ही यह साबित करने के लिए काफी है कि प्रशासनिक व पुलिस मशीनरी पर प्रयोगशाला प्रबंधन के खिलाफ कोई कार्रवाई न करने को लेकर सत्तारूढ़ कांग्रेस का दबाव है।
उन्होंने कहा कि सतर्कता विभाग ने तुली डायग्नोस्टिक सेंटर और ईएमसी अस्पताल के मालिकों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मामला दर्ज किया था, ऐसे में जांच वापस पुलिस को सौंपने से गलत संदेश जाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि जिला स्तरीय एसआईटी मामले में लीपापोती करेगी और प्रयोगशाला व अस्पताल प्रबंधन को ‘क्लीन चिट‘ दे देगी।
श्री मजीठिया ने कहा कि यह मानवता के खिलाफ अपराध है क्योंकि प्रयोगशाला ने कोरोना निगेटिव मरीजों को पॉजिटिव घोषित किया ताकि ईएमसी अस्पताल प्रबंधन के साथ मिलकर उनसे लाखों की लूट की जा सके।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने मामले में शिकायतों को दबाने व शिकायतकर्ताओं को डराने-धमकाने की कोशिश भी की। ऐसे में अधिकारी अपने खिलाफ ही जांच नहीं कर सकते।
श्री मजीठिया ने कहा कि सतर्कता विभाग की जांच सही दिशा में जा रही थी और उन्हें रोककर मुख्यमंत्री ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को रोक दिया है।
उन्होंने कहा कि अमृतसर से कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला ने भी यह मामला जनहित में उठाया था और कहा था कि मामले की जांच सतर्कता विभाग से लेकर पुलिस को नहीं सौंपी जानी चाहिए।
श्री मजीठिया ने कहा कि सांसद ने प्रकरण की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के किसी मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराए जाने की मांग भी की है।
श्री मजीठिया ने मुख्यमंत्री से तुरंत यह फैसला बदलने की मांग करते हुए कहा कि प्रयोगशाला व अस्पताल के कारण निर्दोष लोगों को अकल्पनीय तकलीफों का सामना करना पड़ा जिनमें एक नौ माह की गर्भवती महिला - डॉ़ अनम खुल्लरर भी थीं। श्री मजीठिया ने कहा कि उन्हें ‘पॉजिटिव‘ करार दिया गया और कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ आइसोलेशन वार्ड में रखा गया तथा उनकी जिंदगी को खतरे में डाला गया। बाद में गुरू नानक मेडिकल कॉलेज के किये दो टेस्ट ने साबित किया कि वह कोविड निगेटिव थीं।
श्री मजीठिया ने कहा कि एक दूसरे मामले में प्रीति दत्ता प्रयोगशाला की गलत रिपोअर् के कारण कोविड मरीजों के साथ रखी गईं और इसी तरह इंग्लैंड से लौटे तनेजा परिवार के दो सदस्यों को गलत रिपोर्ट के आधार पर ईएमसी अस्पताल में भर्ती किया गया।
श्री मजीठिया ने कहा कि ऐसे अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए।
महेश विक्रम
वार्ता
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