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रक्षा. राफेल-आगमन दो अंतिम अम्बाला

अत्याधुनिक राफेल विमानों ने गत सोमवार को फ्रांस के शहर बोर्डो स्थित में मेरिनैक एयर बेस से उड़ान भरी थी। करीब 7000 किमी की उड़ान के दौरान इन विमानों को हवा में ही रिफ्यूल किया गया। ये विमान मंगलवार को संयुक्त अरब अमिरात के अल दफ्रा एयरबेस पर उतरे थे। बुधवार पूर्वाहन इन्होंने 11 बजे भारत के लिये उड़ान भरी और भारतीय सीमा में इनके प्रवेश करते ही दो सुखोई 30 विमान इनकी सुरक्षा के लिये आसमान में पहुंच गये और लगभग साढ़े चार घंटे के सफर के बाद इन्हें सुरक्षित अम्बाला वायु सेना केंद्र लेकर पहुंचे। राफेल विमानों ने वायु सेना केंद्र पर इनके लिये विशेष रूप से निर्मित हवाई पट्टी पर सुरक्षित लैंडिंग की।
इन विमानों को वायुसेना के 17वीं स्क्वाड्रन के हिस्से के रूप में शामिल किया जाएगा जिसे अम्बाला वायु सेना केंद्र एयर बेस पर 'गोल्डन एरो' के रूप में भी जाना जाता है। हर तरह की युद्धक क्षमता वाले राफेल विमानों को मिट्योर और स्कॉल्प क्रूज मिसाइलों तथा मीका हथियार प्रणाली जैसे शक्तिशाली हथियारों से लैस किया जा सकता है। राफेल को उड़ा कर लाने वाले पायलटों को फ्रांस में ही लगभग तीन माह का विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
वहीं इन विमानाें के आगमन के दृष्टिगत पर बड़ी संख्या में लोगों के जुटने और सुरक्षा के दृष्टिगत वायु सेना स्टेशन के आसपास के धूलकोट, बलदेव नगर, गरनाला और पंजोखड़ा समेत वायु सेना केंद्र के आसपास के क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर चार या अधिक लोगों के जमा होने, घरों की छतों पर आने, वीडियाेग्र्राफी और फोटाेग्राफी करने, तीन किलोमीटर के दायरे में पाबंदी लगा दी गई थी।
राफेल विमानों की पहली खेप भारत को ऐसे समय मिली है जब उसका चीन और पाकिस्तान के साथ तनाव चल रहा है। राफेल के वायु सेना बेड़े में शामिल होने से उसकी युद्ध क्षमता तथा भारत की ताकत में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। राफेल विमानों को फ्रांस के साथ वर्ष 2016 में हुये लगभग 60 हजार करोड़ रुपये के रक्षा सौदे के हिस्से के रूप में शामिल किया जा रहा है। भारत को सौदे के तहत अभी 31 और राफेल विमान मिलने हैं।
रमेश1601वार्ता
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