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रिपोर्ट के अनुसार 24 अप्रैल से 30 मई तक मामलों में वृद्धि होती रही और पंद्रह-पंद्रह दिन के अंतराल पर दो बार तीव्र वृद्धि देखी गई। 30 मई के बाद मामलों में गिरावट आनी शुरू हुई और 16 जून के बाद बेहद कम मामले सामने आने लगे। संक्रमण के सामने आये मामलों में 75 फीसदी 0-39 साल तक की उम्र के लोगों के थे। केवल 13 फीसदी संक्रमितों की उम्र 50 से ऊपर थी।
रिपोर्ट के अनुसार चंडीगढ़ प्रशासन ने 25 अप्रैल को ही इसे प्रभावित क्षेत्र घोषित किया और आपदा प्रबंधन अधिनियम (2005) के अनुसार नियंत्रण योजना शुरू कर दी गई। इस योजना का नाम था “मेरा बापूधाम मेरा कर्तव्य“। आर्किटेक्चर विभाग की तरफ से मुहैया कराए गये हाथ से बने कालोनी के नक्शे का इस्तेमाल कंटेनमेंट जोन तय करने के लिए, पॉजिटिव मामलों व उनके संपर्कों को ढूंढने के लिए किया गया जिससे वायरस की प्रसारण चेन को समझने और नियंत्रण योजना बनाने व रणनीति लागू करने में मदद मिली। समूची बापू धाम कालोनी को कन्टेनमेंट जोन का हिस्सा बनाया गया। प्रशासनिक कारणों और बेहतर प्रबंधन के लिए कालोनी को 1500-2000 की आबादी वाले 20 पॉकेट में बांटा गया। कालोनी में 40 पुलिसकर्मियों को तीन पालियों में तैनात किया गया। कंटेनमेंट जोन का केवल एक प्रवेश और निकासी बिंदु था। लोगों अथवा वस्तुओं की आवाजाही पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया केवल स्वास्थ्य, आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को छोड़कर। हर दिन निरीक्षण गश्त के अलावा सर्वाधिक प्रभावित पॉकेट (पॉकेट क्रमांक 15) में सीसीटीवी का इस्तेमाल भी किया गया।
जनता और प्रशासन के बीच संप्रेषण के लिए एक नियंत्रण कक्ष पहले एसडीएम कार्यालय में स्थापित किया गया लेकिन दो मई को बापू धाम को समर्पित एक नियंत्रण कक्ष समुदायिक केंद्र में स्थापित किया गया। स्थानीय आबादी को केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर 112 मुहैया कराया गया। नियंत्रण कक्ष में यूनिट डाटा का विश्लेषण करती और इसे विभिन्न श्रेणियों में बांटती जैसे फल व सब्जी (चौबीसों घंटे, सातों दिन), खाने पीने का व घरेलु सामान, सफाई कार्य, रोजगार, दवा, पुलिस, बिजली, निकासी, किताबें व स्टेशनरी, स्वास्थ्य, रोजाना जरूरतें, दूध, गैस और प्रवासी।
प्रशासन ने दो प्रमुख अधिकारी तैनात किये, एक आपदा प्रबंधन नोडल अधिकारी (नागरिक रक्षा) और दूसरा संपर्क अधिकारी (विशेष घटना कमांडर) दोनों रैपिड रेस्पांस टीम (आरआरटी) का हिस्सा थे जो एसडीएम पूर्व के मार्ग निर्देशन में बनाई गई थी। कालोनी को पांच-पांच पॉकेट वाले चार हिस्सों में बांटा गया और चार आरआरटी बनाई गईं। इन टीमों में एक प्रभारी, अधीक्षक, सहायक अधीक्षक, क्लर्क और वालंटियर शामिल थे।
महेश विजय
जारीवार्ता
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