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हरसिमरत कौर बादल ने कहा, “मुझे आज गर्व हो रहा है कि अपने विनम्र तरीके से मैं इस विरासत को आगे ले जा रही हूं।“ उन्होंने कहा कि यह उनके लिए सम्मान की बात है कि किसानों को हमेशा शिअद से अपेक्षाएं रही हैं और पार्टी हमेशा उनकी अपेक्षाओं पर खरी उतरी है। उन्होंने कहा, “यह विरासत नहीं बदलेगी, चाहे जो हो। किसानों का हममें विश्वास हमारे लिए पवित्र है।“
शिअद नेता ने कहा कि उनका निर्णय प्रकाश सिंह बादल की विरासत से निर्देशित है जो राष्ट्रीय हितों के बचाव के लिए लड़ते रहे हैं चाहे आपातकाल का समय हो या देश में संघीय ढांचे की स्थापना के लिए या फिर खाद्य सुरक्षा का।
बाद में दिल्ली में मीडियाकर्मियों से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह अपने इस कदम को कोई त्याग नहीं मानतीं पर किसान हित से बंधे किसी भी अकाली का सहज कदम मानती हैं। उन्होंने कहा, “असल त्याग किसान करते हैं और मैं सिर्फ उनकी बेटी और बहन के रूप में उनके साथ खड़ी हूं।“
प्रधानमंत्री को अपने पत्र में श्रीमती बादल लिखा है कि उनका निर्णय भारत सरकार के विवादास्पद अध्यादेशों के निर्णय पर बिना किसानों की आशंकाएं दूर किये और शिअद के इस निर्णय का हिस्सा बनने से इंकार करने के बावजूद टिके रहना है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से इस्तीफे को ‘तुरंत प्रभाव से‘ स्वीकार करने का अनुरोध किया है।
श्रीमती बादल ने कहा है कि उन्होंने अध्यादेश जारी करते समय पूरी कोशिश की थी कि मंत्रिमंडल वास्तविक हितधारकों, किसानों से बात करे और उनकी आशंकाएं व चिंताएं दूर करे। श्रीमती बादल के अनुसार, “उस समय मुझे ऐसा आभास दिलाया गया कि चूंकि यह अध्यादेश अस्थायी व्यवस्था हैं, मेरी चिंताएं संसद में इन्हें कानून बनाते समय दूर की जाएंगी।“ श्रीमती बादल ने कहा कि उन्हें गहरी ठेस लगी कि उनके और पार्टी के लगातार अनुरोधों और प्रयासों के बावजूद सरकार ने किसानों को विश्वास में नहीं लिया।
महेश विक्रम
वार्ता
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