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टिशू कल्चर बेस्ड सीड पटैटो विधेयक मंजूरी से आलू किसानों को होगा विशेष लाभ

जालंधर 15 अक्टूबर (वार्ता) पंजाब मंत्रिमंडल द्वारा टिशू कल्चर बेस्ड सीड पटैटो विधोयक, 2020 को मंजूरी मिलने से जहां राज्य के आलू बीज उत्पादकों को लाभ मिलेगा वहीं आलू उत्पादकों को भी प्रमाणिक गुणवत्तापूर्ण आलू बीज मिल सकेंगे।
आलू उत्पादकों की आय को बढ़ाने के लिये पंजाब मंत्रिमंडल ने टिशू कल्चर पर आधारित प्रौद्यौगिकी के ज़रिये आलू के मानक बीज के उत्पादन और आलू के बीज और इसकी अगली जैनरेशन की सर्टीफिकेशन का फ़ैसला लिया है। इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। बिल को मंजूरी मिलने से आलू उत्पादकों की आलू के मानक बीज की माँग को पूरा किया जा सकेगा और देश में राज्य को आलू बीज के एक्सपोर्ट (निर्यात) हब के तौर पर विकास किया जा सकेगा।
बागवानी विभाग के एक उच्च अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने टिशू कल्चर पौधों का उपयोग करके प्रमाणित बीज आलू उत्पादन का समर्थन करने वाले टिशू कल्चर आधारित बीज आलू विधेयक 2020 को मंजूरी देकर इसके लिए एक कदम आगे बढ़ाया है। यह उद्यमियों को उच्च तकनीकों का उपयोग करके गुणवत्ता वाले आलू उत्पादन में प्रवेश करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। इस प्रणाली के द्वारा, न केवल राज्य गुणवत्ता के बीज में आत्मनिर्भर हो जाएगा, बल्कि अन्य राज्यों को प्रमाणित गुणवत्ता के बीज की आपूर्ति भी करेगा। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से आलू के उत्पादन को उत्साहित करने में मदद मिलेगी जिससे आलू की फ़सल की काश्त अधीन और ज्यादा क्षेत्रफल आने से फ़सली विभिन्नता को बल मिलेगा। राज्य में एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की काश्त की जाती है जिससे आलू के चार लाख टन बीज की माँग पैदा हुई है। सैंट्रल पटैटो रिर्सच इंस्टीट्यूट, शिमला से आलू के मानक बीज की आपूर्ति बहुत कम है। कुछ व्यापारी पंजाब के बीज का मार्का लगा कर ग़ैर-कानूनी ढंग से घटिया किस्म का आलू बीज आपूर्ति कर रहे हैं।
राज्य में, आलू की फसल में 28.70 लाख टन के उत्पादन के साथ 1.06 लाख हेक्टेयर का क्षेत्र शामिल है। इस क्षेत्र का प्रमुख हिस्सा (लगभग 60 प्रतिशत) बीज आलू के अधीन है, जबकि बाकी का लगभग 40 प्रतिशत वेयर आलू है। इस बीज के हिस्से में से, राज्य अपनी बुवाई के लिए लगभग चार लाख टन रखता है और बाकी आलू उगाने वाले राज्यों उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक आदि को आपूर्ति करता है। आलू के उत्पादन के स्तर को बनाए रखने के लिए गुणवत्तापूर्ण बीज आलू बुनियादी आवश्यकता है। राज्य ने पहले ही टिशू कल्चर, एयरोपोनिक्स और स्क्रीन नेट हाउस यूनिट्स जैसी उच्च तकनीकों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण बीज आलू उत्पादन शुरू कर दिया है। ये तकनीक मूल रूप से गुणवत्ता वाले बीज आलू के तेज गुणन में सहायक हैं। हाई-टेक तकनीकों की खोज करने वाली इस तरह की प्रदर्शन इकाई पहले से ही जिले के गाँव धोगड़ी में स्थित आलू के लिए उत्कृष्टता के केंद्र में उपलब्ध है। लेकिन पहले, गुणवत्ता मानकों को बनाए रखने वाले बीज का प्रमाणीकरण केवल ब्रीडर, नींव और प्रमाणित बीज चरणों के लिए उपलब्ध था। इसके अलावा, केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला के लिए गुणवत्ता वाले प्रजनक बीज की ओर राज्य की निर्भरता कम हो जाएगी। बीज आलू की गुणवत्ता और खरीदार के विश्वास को बनाए रखने के लिए, कुछ प्राधिकरण की हमेशा जरूरत थी। यहां पर हाइटेक तकनीकों के मामले में भी किसान संबंधित विभाग के माध्यम से बीज आलू प्रमाणीकरण कर सकते हैं। विशेषज्ञ टीम के समय पर निरीक्षण से बीज उत्पादकों को मार्गदर्शन मिल सकता है कि वे आलू की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए पर्याप्त उपायों का पालन करें।
राज्य में आलू अधीन कुल रकबे में सबसे ज्यादा पैदावार कुफरी पुखराज किस्म की होती है जो लगभग 50 से 60 प्रतिशत रकबे में बोया जाता है। इसके पश्चात कुफरी ज्योती किस्म लगभग 14 से 16 फीसदी रकबा , बादशाह तथा चिपसोना तीन फीसदी, चंदरमुखी छह फीसदी तथा अन्य लगभग चार फीसदी रकबे में बोया जाता है। उन्होने कहा कि आलू की फसल की बुवाई से पूर्व के खाली समय दौरान किसानों को चाहिए कि अपने खेतों में ढैंचा की फसल लगाई जाएं ताकि इसका प्रयोग हरी खाद के तौर पर किया जा सके।
पंजाब आलू उत्पादन का सबसे बड़ा राज्य है। राज्य में सबसे ज्यादा आलू जालंधर में बीजा जाता है जबकि सबसे कम आलू पठानकोट में 14 हेक्टेयर में बीजा जाता है। जालंधर में 22176 हेक्टेयर में आलू की फसल लगाई जाती है। जबकि अन्य जिलों में आलू अधीन होशियारपुर में 15810 हेक्टेयर, लुधियाना में 13228, कपूरथला में 9766, अमृतसर 9910, मोगा 7725, बठिंडा 5876, फतेहगढ़ साहिब 4430, पटियाला 4716, एसबीएस नगर 2650, तरनतारन 1890, बरनाला 1570, एसएएस नगर 1520, रोपड़ 1026, गुरदासपुर 826, संगरूर 781, फिरोजपुर 1306, फरीदकोट 266, मुक्तसर 214, मानसा 218 और फाजिलका 148 हेक्टेयर है।
ठाकुर, उप्रेती
वार्ता
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