राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Oct 18 2020 4:57PM मधुमक्खी पालकों को आनलाइन प्रशिक्षणचंडीगढ़, 18 अक्तूबर(वार्ता) चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षण संस्थान के सह-निदेशक (प्रशिक्षण) डॉ. अशोक गोदारा ने मधुमक्खी पालन विषय पर आयोजित तीन दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत 34 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर उन्होंने आज कहा कि मधुमक्खी परागकरण क्रिया द्वारा फसल की पैदावार बढ़ाने में भी सहायक होती हैं । किसान खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को सहयोगी व्यवसाय के रूप में अपनाकर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि मधुमक्खी पालन को किसान थोड़े से पैसे से शुरू कर अपने व्यवसाय को बड़े स्तर तक बढ़ा सकते हैं। इस व्यवसाय को वे लोग भी शुरू कर सकते हैं, जिनके पास जमीन का अभाव है या फिर जमीन नहीं है। सर्दी के मौसम में मधुमक्खी पालन अधिक मुनाफा देता है क्योंकि इस समय फसल पर फूलों की संख्या बहुत अधिक होती है जो मधुमक्खी को शहद बनाने के लिए जरूरी होते हैं।उनके अनुसार मधुमक्खी पालन से शहद के अतिरिक्त भी अन्य पदार्थ जैसे मोम, प्रोपोलिस पराग, रायल जैली इत्यादि मिलते हैं, जिससे किसान अधिक लाभ कमा सकता है। इस कार्यक्रम में डॉ. भूपेद्र सिंह व डॉ. सुरेन्द्र सिंह प्रशिक्षण के संयोजक रहे। शर्मा वार्ता