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हरियाणा में पर्याप्त डाक्टरों की जरूरत पूरी करने के लिये अनूठी नीति

चंडीगढ़, 23 नवम्बर(वार्ता) हरियाणा में सार्वजनिक हेल्थकेयर संस्थानों में पर्याप्त डॉक्टरों की जरूरत पूरी करने हेतु राज्य सरकार ने छात्रों को सरकारी सेवा का विकल्प चुनने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक अनूठी नीति तैयार की है जिसके अंतगर्त उन्हें सरकारी सेवा की ओर मजबूर करने के बजाय कहीं भी काम करने के विकल्प को बरकरार रखा गया है।
एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि राज्य में डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के निर्देशानुसार हाल ही में शुरू की गई इस अनूठी नीति के तहत जो छात्र एम.बी.बी.एस. डिग्री के लिए चयनित होता है तो उसे प्रवेश के समय 10 लाख रुपए वार्षिक बॉण्ड का भुगतान करना होगा जिसमें एम.बी.बी.एस. कोर्स की पूरी अवधि की वार्षिक फीस शामिल नहीं होगी। उम्मीदवार के पास सरकार द्वारा प्रदान की गई सुविधा अनुसार बैंक से शिक्षा ऋण प्राप्त करने या ऋण लिए बिना संपूर्ण बॉन्ड राशि का भुगतान करने का विकल्प होगा।
प्रवक्ता ने बताया कि किसी भी अभ्यर्थी को शिक्षा ऋण प्रदान करने से इनकार या वंचित नहीं रखा जाएगा। राज्य सरकार शिक्षा ऋण सुविधा का लाभ उठाने वाले प्रत्येक छात्र को ऋण राशि की 100 प्रतिशत सीमा तक क्रेडिट गारंटी प्रदान करेगी ताकि उम्मीदवार को किसी भी कारण से ऋण देने से वंचित न किया जाए। ऋण प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को किसी भी प्रकार की सिक्योरिटी या कॉलेटरल देने की आवश्यकता नहीं होगी। इस उद्देश्य के लिए राज्य सरकार ने उच्च शिक्षा ऋण क्रेडिट गारंटी योजना को अलग से अधिसूचित किया है।
प्रवक्ता के अनुसार स्नातक स्तर (इंटर्नशिप सहित) पर यदि उम्मीदवार निर्दिष्ट प्रक्रिया के अनुसार राज्य सरकार के किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान में रोजगार प्राप्त करने में सफल होता है उसके बाद, जब तक उम्मीदवार राज्य सरकार के सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान की सेवा में कार्यरत होगा, राज्य सरकार ऋण की किस्तों (मूल राशि और ब्याज सहित) का भुगतान करेगी, जो वेतन और देय भत्ते के अतिरिक्त होगा। अगर उम्मीदवार राज्य सरकार के किसी भी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान में रोजगार प्राप्त करने की इच्छा नहीं रखता है तो उम्मीदवार ऋण (ब्याज सहित) की अदायगी के लिए उत्तरदायी होगा।
प्रवक्ता ने बताया कि यदि उम्मीदवार स्नातक होने के बाद भी बेरोजगार रहता है या निरंतर प्रयासों के बावजूद किसी भी प्रकार का सरकारी रोजगार (अनुबंध रोजगार सहित) प्राप्त करने में असमर्थ रहता है तो राज्य सरकार द्वारा प्रदान की गई गारंटी को लागू किया जा सकता है और छात्र पर किसी भी प्रकार का दबाव डाले बिना राज्य सरकार क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट के माध्यम से ऋण राशि का भुगतान करेगी। इस नीति के माध्यम से सरकार का उद्देश्य छात्र-डॉक्टरों को सरकारी रोजगार प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना है, साथ ही ऐसे छात्रों की सुरक्षा करना जो ईमानदारी से प्रयासों के बावजूद रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ हैं। केवल वे छात्र जो निजी क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ना चाहते हैं या स्नातक स्तर पर चिकित्सा क्षेत्र में काम नहीं करते हैं उन्हें ऋण राशि का भुगतान करना होगा।
प्रवक्ता के अनुसार राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि छात्रों द्वारा भुगतान की जाने वाली बॉड राशि को एक विशेष ट्रस्ट में रखा जाएगा जिसका उपयोग छात्र-डॉक्टरों, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थान या स्वास्थ्य देखभाल, चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान के लिए है कार्य करेंगे, के ऋण के भुगतान के लिए किया जाएगा, न ही किसी अन्य उद्देश्य के लिए।
इन सभी कदमों के अलावा, राज्य सरकार हर छात्र, जो सरकारी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेता है, उसे प्रतिवर्ष 15 लाख रुपये तक की सब्सिडी देती है। अब चूंकि प्रदेश सरकार राज्य में चिकित्सा शिक्षा संस्थानों की संख्या के विस्तार की प्रक्रिया में है ऐसे में अधिकाधिक डॉक्टर तैयार करने हेतु चिकित्सा शिक्षा के लिए प्रवेश-क्षमता में वृद्धि हो रही है। यह डॉक्टर सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में जहां वर्ष 2014 में चार सरकारी (सरकारी अनुदान प्राप्त) कॉलेज थे, वहीं अब इनकी संख्या बढ़ कर छह हो गई है और आठ कॉलेज प्लानिंग तथा निर्माण चरण में हैं।
रमेश1829वार्ता
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