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बिजली इंजीनियरों का किसान आंदोलन को समर्थन

जालंधर 03 दिसंबर (वार्ता) कृषि कानूनों और इलेक्ट्रिसिटी (संशोधन) विधेयक 2020 की वापसी की मांग के लिए आंदोलन कर रहे किसानों को बिजली इंजीनियरों ने अपना समर्थन दिया है।
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता विनोद कुमार गुप्ता ने गुरुवार को बताया कि फेडरेशन किसानों के संघर्ष का पूरा समर्थन करती है और केंद्र सरकार से आग्रह है कि हाल ही में संसद में पारित कृषि कानूनों को रद्द किया जाए और बिजली संशोधन विधेयक 2020 को वापस लेकर किसानों की बिजली सब्सिडी दी जाए।
श्री गुप्ता ने कहा कि किसानों का संघर्ष केंद्र सरकार की आर्थिक नीति के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यह कानून कॉरपोरेट और उद्योगपतियों का पक्षधर हैं। काॅरपोरेट घराने कृषक समुदाय की कीमत पर अपने व्यापारिक व्यवसाय और लाभ को अधिकतम करने के लिए तैयार हैं। बिजली इंजीनियरों ने बिजली टैरिफ में सब्सिडी खत्म करने के सरकार के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया था और खासतौर पर किसानों को दी जा रही मौजूदा बिजली सब्सिडी खत्म करने के प्रस्ताव का पुरजोर विरोध किया गया था। जबकि केन्द्र सरकार ने डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) की प्रक्रिया का प्रस्ताव किया था, यह राशि किसानों को मुफ्त बिजली की सब्सिडी छीनने के लिए है।
डीबीटी के इस प्रस्ताव से उन किसानों को भारी आर्थिक परेशानी होगी, जिन्हें अपने ट्यूबवेल के बिजली बिलों का भुगतान डिस्कॉम को करना होगा जबकि राज्य सरकार द्वारा डीबीटी भुगतान के मिलान की कोई गारंटी नहीं है। विद्युत संशोधन विधेयक 2020 को वापस लिया जाना चाहिए।
श्री गुप्ता ने कहा कि किसानों के कानूनों को लागू करने के लिए का कदम मौजूदा केंद्र सरकार की समग्र रणनीति का एक हिस्सा है। आर्थिक सुधारों के नाम पर कृषि कानूनों को लागू करने के कदम से वास्तव में कारपोरेट घरानों को भारी लाभ मिलेगा और उन किसानों को आर्थिक रूप से नष्ट कर दिया जाएगा जो खाद्यान्न आदि के विपणन से देय राजस्व से वंचित हो जाएंगे।
ठाकुर, उप्रेती
वार्ता
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