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ओम प्रकाश चौटाला की प्रधानमंत्री कृषि कानून वापिस लेने की अपील

ओम प्रकाश चौटाला की प्रधानमंत्री कृषि कानून वापिस लेने की अपील

चंडीगढ़, 28 दिसम्बर(वार्ता) हरियाणाा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर देश और किसानहित में कृषि कानून वापिस लेने की अपील की है।

श्री चौटाला ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि किसानों को इस भीषण ठंड में आंदोलन करते हुये एक माह से भी अधिक का समय हो गया है लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। यह एक दुखद स्थिती है क्योंकि सामान्यत: किसान वर्ग के लोग किसी आंदोलन में भाग नहीं लेते और आज ऐसा हो रहा है तो उसे संवेदनात्मक दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। उन्होंने लिखा कि सम्भवत: सरकार द्वारा कृषि कानूनों के सम्बंध में किसानों से संवाद स्थापित करने में कोई चूक रह गई है जिसकी वजह से टकराव की स्थिति पैदा हो गई है।

इनेलो सुप्रीमो ने प्रधानमंत्री को याद दिलाते हुए लिखा कि देश में गत शताब्दी में स्वतंत्रता आंदोलन के पहले दशकों में इसी प्रकार चार बड़े आंदोलन हुए थे जिनका नेतृत्व महात्मा गांधी और सरदार पटेल जैसे नेताओं ने किया था। उन्हाेंने प्रधानमंत्री को उनके लम्बे राजनीतिक अनुभव का हवाला देते हुए लिखा कि किसानों को तीनों कृषि संबंधी कानून स्वीकृत नहीं हैं इसलिए हठधर्मिता छोड़ कर किसानों की मांग मान लेनी चाहिए। उन्होंने बिहार के किसानों का उदाहरण देते हुए लिखा कि उनकी हालत से आप भलीभांती परिचित हैं जो जमीनों के मालिक होते हुए भी हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में मजदूरी करने पर मजबूर हैं।

उन्होंने प्रधानमंत्री से निवेदन करते हुए लिखा कि इन कृषि कानूनों को लागू करने में जल्दबाजी न की जाए और न ही इसे अहम का विषय बनाया जाए क्योंकि किसान के लिए जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा भी अपनी जान से प्यारा होता है।

उन्होंने आशंका व्यक्त करते हुए लिखा कि किसानों का आंदोलन अभी तक शांतिप्रिय चल रहा है अगर किन्हीं कारणों से उग्र हुआ तो इसके दूरगामी परिणाम देशहित में कदाचित नहीं होंगे। उन्होंने आंदोलन के दौरान मृत्यु को प्राप्त लगभग 50 किसानों की मौत पर गहरा दुख प्रकट करते हुए लिखा कि इससे ज्यादा विडंबना क्या होगी के भारत जैसे कृषि प्रधान देश में किसान का एक विशेष स्थान है लेकिन फिर भी अपने हकों के लिए सड़क पर आंदोलन करने पर मजबूर है।

उन्होंने श्री मोदी से आग्रह करते हुए लिखा कि प्रधानमंत्री पूरे देश का होता है इसलिए उनकी लिखी बातों को ध्यान में रखते हुए इन कृषि कानूनों को या तो वापिस लिया जाए या उन्हें तब तक के लिए निलम्बित कर दिया जाए जब तक किसान संगठनों के साथ मिलकर सहमति नहीं बन जाती।

रमेश1655वार्ता


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