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सुप्रीम कोर्ट का आदेश सरकार की नैतिक हार : शिअद

चंडीगढ़, 12 जनवरी (वार्ता) शिरोमणि अकाली दल (शिअद) ने कृषि कानूनों को निलंबित करने के उच्चतम न्यायालय के आज के आदेश को केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार की ‘नैतिक हार‘ बताते हुए उच्चतम न्यायालय की गठित समित को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य‘ करार दिया है।
शिअद की कोर कमेटी की शाम को हुई एक बैठक में इस बारे में एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि शिअद भी शुरू से कह रहा था कि कृषि विधेयकों को जल्दी में पारित करने के बजाय सिलेक्ट हाऊस कमिटी के पास भेजा जाए और सदन में प्रस्तुत करने से पहले किसानों की सहमति ली जाए।
बैठक का ब्यौरा देते हुए हरचरण सिंह बैंस ने बताया कि कमेटी के पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि पार्टी ने विधेयकों के खिलाफ वोट किया था और केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनकी एकमात्र सदस्य हरसिमरत कौर ने सरकार के विधेयक पारित करने के निर्णय के विरोध में इस्तीफा दिया था। बाद में पार्टी ने खुद को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से अलग किया। पार्टी के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने पद्म विभूषण भी लौटाया।
शिअद ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी के गठन को ‘दुर्भाग्यपूर्ण तथा अस्वीकाय‘ बताते हुए कहा कि कमेटी की सरंचना ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह तथा केंद्र में किसान विरोधी सरकार के बीच किसान विरोधी गठजोड़ को पूरी तरह उजागर कर दिया। जिन सदस्यों की कमेटी बनाई गई है उनकी प्रोफाइल से साफ पता चलता है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह के कहने पर ऐसा किया गया है। शिअद के अनुसार पूर्व सांसद व किसान विरोधी समर्थक भूपिंदर सिंह मान, जिनके बेटे को अमरिंदर सिंह ने पीपीएससी के लिए नामित किया गया था, का कमेटी में होना किसानों के खिलाफ कैप्टन -भाजपा की मिलीभगत में किसान निश्चित रूप से इससे बाहर हैं।
शिअद ने इसीके साथ उच्चतम न्यायालय में केंद्र की तरफ से किसान आंदोलन में खालिस्तानी औैर अन्य शांति व देश विरोधी तत्वों का हाथ होने जैसे ‘गैरजिम्मेदाराना‘ बयानों की निंदा भी की है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह दावा उनके ही वरिष्ठ नेता व मंत्री राजनाथ सिंह के पिछले सप्ताह दिये बयान के विपरीत है जिसमें श्री सिंह ने कहा था कि शांतिपूर्वक आंदोलन कर रहे किसानों को ‘खालिस्तानी या वैचारिक अतिरेकी“ करार देना गलत है।
महेश विक्रम
वार्ता
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