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चंद्रभागा नदी पर प्रस्तावित पनविद्युत परियोजनाओं के विरूद्ध होगा आंदोलन

शिमला, नौ फरवरी (वार्ता) उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर के टूटने के बाद आए जलप्रलय के बाद हिमाचल प्रदेश में प्रस्तावित जल विद्युत परियोजनों के खिलाफ पर्यावरण संरक्षण संगठन और संस्थाएं मुखर हो गई हैं।

चमोली त्रासदी के आलोक में लाहौल-स्पीति जिले के गोशाल गांव में हिमधारा पर्यावरण समूह और सेव लाहौल-स्पीति संस्था ने जागरूकता शिविर का आयोजन किया जिसमें ग्रामीणों ने चंद्रभागा घाटी में प्रस्तावित पनविद्युत परियोजनाओं का विरोध करते हुये इन्हें नहीं बनने देने का प्रण लिया है।

गोशाल पंचायत के पूर्व प्रधान मेघ सिंह ने कहा कि लाहौल की हिमालय घाटी ग्लेशियर टूटने से सबसे ज्यादा प्रभावित रहती है। लेकिन सरकार इस क्षेत्र में 56 पनविद्युत योजनाएं बनाने की कवायद कर रही है। इससे पूरी लाहौल घाटी उत्तराखंड की तरह त्रासदी की राह पर चली जाएगी। महिला मंडल गोशाल की सदस्य देकिद ने कहा कि लाहौल में वनों को लम्बे समय से बचाया जा रहा है। जंगल से लकड़ी लाने पर भी पाबंदी लगा रखी है। गोशाल पंचायत की प्रधान संगीता राणा ने कहा कि किसी भी सूरत में तांदी परियोजना 104 मेगावाट को अनापत्ति नहीं दी जाएगी।
सेव लाहौल-स्पीति के उपाध्यक्ष विक्रम कटोच ने कहा कि लाहौल में विनाशकारी पनविद्युत परियोजनाओं के खिलाफ जन जागरण की मुहिम को मजबूती से आगे बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जो हुआ, उससे सभी आहत हैं।
सं.रमेश1900वार्ता
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