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किसान मोर्चा के टूटने के सपने देखना छोड़ दे सरकार : टिकैत

सोनीपत, 10 फरवरी (वार्ता) भारतीय किसान यूनियन के नेता एवं संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य राकेश टिकैत ने बुधवार को केंद्र सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि वह किसान मोर्चा के टूटने और आंदोलन के बिखरने के सपने देखना छोड़ दे।
श्री टिकैत ने कुंडली बॉर्डर पर आंदोलनरत किसानों को संबोधित करते हुए केंद्र सरकार को चेताया कि वह जाति-धर्म के नाम पर किसान को बांटने की साजिश बंद करे। उन्होंने कहा कि किसान की कोई जाति नहीं होती है। किसान 36 बिरादरी में हैं और किसी ना किसी रूप से हर बिरादरी खेती से जुड़ी है , इसलिए भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) का यह षडयंत्र यहां नहीं चलेगा।
उन्होंने सवाल किया कि दिल्ली में लाख से अधिक ट्रैक्टरों पर तीन लाख आदमी पहुंचे और किसी की साइकिल की हवा तक नहीं निकाली गई। यह अनुशासन नहीं तो क्या था। सरकार बताए कि रातोंरात लोगों को कैसे लालकिला तक पहुंचा दिया गया। इसकी निष्पक्ष एवं स्वतंत्र एजेंसी से जांच हो, तो सारी हकीकत लोगों के सामने होगी। उन्होंने कहा कि किसान किसी सूरत में रोटी को पूंजीपतियों की तिजौरी में कैद नहीं होने देंगे। इसके लिए किसान संघर्ष करने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा कि अब की चार 40 लाख ट्रैक्टर आएंगे और दिल्ली को बता देंगे कि यह किसी एक इलाके का नहीं पूरे देश का आंदोलन है। संयुक्त मोर्चा के सदस्य देशभर में घूम-घूम करके किसानों का आंदोलन खड़ा कर चुके हैं और अब इसे व्यापक रूप दिया जाएगा ताकि सरकार के कान पर जूं रेंगे और वह किसान की बात को सुने। उन्होंने दोहराया कि तीन कृषि कानून रद्द हों, एमएसपी पर गारंटी कानून बने, पराली और बिजली विधेयक वापस ले और निर्दोष लोगों की रिहाई की जाए। इससे कम में किसान बात करने के लिए तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई किसान के साथ-साथ देश के गरीब, मजदूर और आमजन की है।
उन्होंने हरियाणा की खाप पंचायतों का उनके मदद और सहयोग के लिए आभार प्रकट किया।
इस मौके पर भाकियू राजेवाल के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि प्रदेश की सरकार पर किसानों को दबाव बनाना होगा तभी वह किसानों की बात सुनेगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के लोगों ने दुष्यंत चौटाला को इसलिए वोट दिया था कि वह किसानों की बात उठाएंगे। लेकिन अब सत्ता में चिपक गए हैं। उन्होंने किसानों का आहवान किया कि वह चौटाला के साथ निर्दलीय विधायकों पर भी दबाव बनाएं, ताकि हरियाणा की सरकार गिरे। तब गुराजत के केंद्र में बैठे दो नेताओं (प्रधानमंत्री और गृहमंत्री) को पता चलेगा कि किसान की ताकत क्या होती है।
सं टंडन
वार्ता
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