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हरियाणा विस. की एमएसपी कमेटी में विपक्षी सदस्य भी शामिल

चंडीगढ़, 18 मार्च(वार्ता) हरियाणा विधानसभा का पांच से 18 मार्च तक चला बजट सत्र कईं मायनों में अहम रहा। इस दौरान जहां एक ओर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वित्त मंत्री के रूप में लगातार दूसरी बार बजट पेश करते हुये इसे किसानों को समर्पित कर मुख्यत: कृषि एवं सिंचाई पर केंद्रित किया जो सरकार की किसान हितैषी सोच का परिचायक है।
श्री खट्टर ने गत 16 मार्च को बजट अभिभाषण पर चर्चा के बाद अपने उत्तर में विपक्षी सदस्यों विशेषकर कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और विधायक बी.बी.बतरा द्वारा उठाए गए मुद्दों का बिंदूवार सटीक जवाब देते हुए न केवल एक कुशल और सुलझे हुए राजनेता का परिचय दिया बल्कि एक अर्थशास्त्री के रूप में भी स्वयं को प्रस्तुत कर सदन को आश्चर्यचकित कर दिया। यह सत्र इसलिए भी अहम रहा क्योंकि सत्ता पक्ष को अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा, जो विपक्ष के नेता भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और अन्य सदस्यों द्वारा किसान आंदोलन पर एक निजी सदस्य विधेयक के रूप में लाया गया था।
राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान जिस प्रकार से कांग्रेस के अलावा गठबंधन सरकार की सहयोगी पार्टी जननायक जनता पार्टी(जजपा) और निर्दलीय विधायकों ने सदन में इस बिल पर अपना अपना पक्ष रखा था तो राजनीति के जानकारों के मन में यह शंका उत्पन्न होने लगी थी कि शायद अविश्वास प्रस्ताव पारित न हो जाए। सदन की संख्या बल के आधार पर 90 सदस्यों वाली विधानसभा में वर्तमान में विधायकों की संख्या 88 रह गई है क्योंकि इनेलो के अभय सिंह चौटाला त्यागपत्र दे चुके हैं और कांग्रेस के प्रदीप चौधरी की सदस्यता रद्द हो चुकी है जबकि ज्ञान चंद गुप्ता विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते मतदान में भाग नहीं ले सकते। लेकिन जब अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का समय आया तो श्री खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने विशेष रणनीति के तहत अविश्वास प्रस्ताव को धराशायी करा दिया। प्रस्ताव के विरोध में 55 तो पक्ष में 32 मत पड़े जिसमें कांग्रेस के 30 तथा महम और दादरी के दो निर्दलीय विधायकों के मत शामिल थे।
किसान आंदोलन का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन कर रही कांग्रेस पार्टी को भी मुख्यमंत्री ने करारा जवाब दिया। फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी) पर कानून बनाने की बात सदन में आई तो इसके लिए कृषि मंत्री जे.पी.दलाल सहित पांच सदस्यीय कमेटी गठित की गई, जिसमें कांग्रेस विधायक किरण चौधरी और बी.बी.बतरा, जजपा विधायक राम कुमार गौतम और भाजपा विधायक सुधीर सिंगला को लिया गया। यह संयोग की बात है कि यह चारों विधायक कानूनी पृष्ठभूमि से हैं लेकिन जब इस कमेटी की बैठक बुलाई गई तो श्रीमती चौधरी और श्री बतरा ने बैठक का बहिष्कार कर दिया। जब इसका जिक्र बजट अभिभाषण पर चर्चा के दौरान जजपा के जोगी राम सिहाग ने किया तो सदन के सदस्यों को इस बात पर बड़ा आश्चर्य हुआ।
बजट अभिभाषण पर चर्चा के दौरान श्रीमती चौधरी ने सदन में वाहवाही बटोरने के लिए जब प्रति व्यक्ति आय, बढ़ते कर्ज भार और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर आंकड़ों के अंतर का जिक्र किया तो इस पर मुख्यमंत्री ने उनके द्वारा उठाए गए एक-एक मुद्दे का उत्तम ढंग से जवाब दिया। लेकिन इस दौरान श्रीमती चौधरी सदन से नदारद रहीं। मुख्यमंत्री ने श्रीमती चौधरी द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के हिंदी और अंग्रेजी की कॉपी में आंकड़ों में अंतर बताने के आरोप का सटीक जवाब देेते हुए कहा कि बजट के पैरा 56 में यह कहा गया है कि 9,14,273 किसानों को बीमे के लिए कवर किया गया है जबकि अंग्रेजी में इसे 9.14 लाख लिखा गया है जो कि एक ही बात है।
यह बजट सत्र कुछ खटी-मिट्ठी यादें भी छोड़ गया है। जब भाजपा के विधायक अभय सिंह यादव ने सदन में किसान आंदोलन के पीछे अप्रत्यक्ष रूप से एक विशेष समुदाय का हाथ होने की बात कही तो इस पर सदन में लगभग एक घंटे तक तीखी नोक-झोंक हुई। यहां तक कि एक निर्दलीय विधायक जिसने अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में वोट भी दिया था वह भी उनके साथ उलझे नजर आए। कानून में पीएचडी और पूर्व अफसरशाह रहे और दूसरी बार विधायक बने डा. यादव ने यहां तक कह दिया कि अगर विपक्ष के नेता सदन की कार्यवाही की रिकॉर्डिंग सुनना चाहे तो सुन सकते हैं और यदि उन्होंने यह बात कही है तो वह आज इसी समय सदन से अपना त्यागपत्र देने के लिए तैयार हैं। इसके बाद जब विधानसभा परिसर में विधायकों का दोपहर का भोज चल रहा था तो तीखी नोक-झोंक करने वाले सदस्य भी डा. यादव से हल्के अंदाज में बातचीत करते नजर आए।
यह बजट सत्र इसलिए भी उल्लेखनीय रहा क्योंकि इस सत्र में विधानसभा अध्यक्ष के गत डेढ़ वर्षों से विधायी प्रक्रियाओं में निरंतर किये जा रहे सुधारों की झलक भी देखने को मिली। सत्र में विधानसभा की नौ विभिन्न समितियों की रिपोर्ट पारित की गई और श्री गुप्ता ने सदस्यों की संख्या के अनुपात के रूप में अधिकांश समितियों के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा, कांग्रेस पार्टी तथा निर्दलीय विधायकों को नामित किया था, जिसकी सराहना आज सदन में हुई।
इसी कड़ी में आज एक और अध्याय उस समय जुड़ गया जब विधानसभा में चल रहे बजट सत्र के दौरान भाजपा विधायक डॉ. अभय सिंह यादव और कांग्रेस विधायक श्री वरूण चौधरी को वर्ष 2020-21 के सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में नामित किया गया।
रमेश2024वार्ता
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