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किसानों ने होली के साथ जलाई कानूनों की प्रतियां

सोनीपत, 28 मार्च (वार्ता) हरियाणा में सोनीपत के कुंडली समेत दिल्ली के बार्डरों पर तीन कृषि कानूनों को रद्द कराने के लिए धरनारत किसानों ने रविवार को होलिका दहन के साथ कानूनों की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया।
किसानों ने पहले ही ऐलान किया था कि होली के दिन वह धरनास्थलों पर कानून की प्रतियां जलाएंगे। इसी क्रम में सभी धरनास्थलों पर होलिका दहन के साथ कानून की प्रतियां जलाकर विरोध दर्ज कराया गया। किसानों ने साफ कर दिया है कि वह आंदोलन को और आगे बढ़ाएंगे।
कुंडली बार्डर पर किसान नेता डा. दर्शनपाल तथा गाजीपुर बार्डर पर राकेश टिकैत की अगुवाई में कृषि कानून की प्रतियां जलाई गई। किसान नेताओं ने कहा कि कृषि कानून किसान और जनता विरोधी हैं। किसानों से इसे बुराई पर अच्छाई की जीत का चिन्ह मानते हुए कहा कि इन कानूनों को रद्द करना ही पड़ेगा तथा एमएसपी पर कानून बनाना होगा।
डा. दर्शनपाल ने हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के भारी विरोध के बावजूद आंदोलन विरोधी कानून पास करने को जनता के हितों पर चोट करार दिया है। उन्होंने कहा कि इस कानून का मकसद केवल और केवल आंदोलन और आंदोलन करने वालों को दबाना है। इससे प्रदेश के लोगों के अधिकारों का हनन किया गया है। हरियाणा लोक व्यवस्था में विघ्न के दौरान “संपत्ति क्षति वसूली विधेयक 2021” के शीर्षक से पारित इस बिल में ऐसे खतरनाक प्रावधान हैं, जो निश्चित रूप से लोकतंत्र के लिए घातक सिद्ध होगा।
उन्होंने कहा कि सयुंक्त किसान मोर्चा इस कानून की कड़ी निंदा तथा विरोध करता है। यह कानून इस किसान आंदोलन को खत्म करने और किसानों की जायज मांगों से भागने के लिए लाया गया है। इसके तहत किसी भी आंदोलन के दौरान कहीं पर भी किसी भी द्वारा किए गए निजी या सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान की भरपाई आंदोलन करने वालों से की जाएगी। आंदोलन की योजना बनाने, उसको प्रोत्साहित करने वाले या किसी भी रूप में सहयोग करने वालों से नुकसान की वसूली की जा सकेगी। कानून के अनुसार किसी अदालत को अपील सुनने का अधिकार नहीं होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा ने पांच अप्रैल को देशभर में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) कार्यालय के घेराव करने का आह्वान किया है। वहीं 30 मार्च को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक आहूत की गई है। इसमें अप्रैल के आंदोलन की रूपरेखा तैयार होगी। इससे पहले पंजाब की किसान जत्थेबंदियों की बैठक हुई है। इसमें आंदोलन को आगे बढ़ाने पर तो जोर दिया ही गया है, साथ में दिल्ली की ओर बढ़ने के लिए दबाव बनाने की बात भी रखी है। ताकि सरकार जिद छोड़कर किसानों के प्रति व्यवहार में बदलाव करे और बातचीत का दौर फिर शुरू हो।
सं राम
वार्ता
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