राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Oct 8 2021 6:32PM पंजाब में किसान-मजदूरों की आत्महत्या के मामले जारी
चंडीगढ़ 08 अक्तूबर (वार्ता)पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस के चेहरे बदलने के बावजूद किसान, खेत मजदूर और साधारण व्यापारी-दुकानदारों की खुदकुशी के मामलों का सिलसिला जारी है।
यदि सरकार माफिया और भ्रष्टाचारियों पर नकेल कसकर उसी पैसे से किसान-मजदूर के सिर से कर्जे का बोझ उतारती और फसलों की बर्बादी की रोकथाम के प्रबंध करती तो किसान न तो फंदे लगाते और न ही जहर खाकर दम तोड़ते।
आम आदमी पार्टी (आप) पंजाब के विधायक एवं प्रदेश किसान विंग के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने आज यहां कहा कि जिला मानसा के गांव घद्दूवाला का एक और किसान दर्शन सिंह को कपास की फसल बर्बाद होने और कर्जे का भार सहन नहीं होने पर जहर पीने को मजबूर होना पड़ा। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस और अकाली दल-भाजपा सरकारों को किसान और खेत मजदूरों की कोई परवाह नहीं है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री चरनजीत चन्नी ने मालवा के गुलाबी सूंडी से प्रभावित कपास क्षेत्र का दौरा करने के बावजूद किसानों को अब तक कोई राहत नहीं मिली है। कांग्रेस और बादलों ने कर्जा माफी का ढिंढोरा तो पीटा लेकिन किसान-मजदूर और छोटे कारोबारियों का कर्जा माफ नहीं किया।
श्री संधवां ने कहा कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी द्वारा उत्तर प्रदेश के शहीद किसानों को दी गई 50-50 लाख रुपये की आर्थिक मदद अच्छा कदम है लेकिन चन्नी सरकार यह भी बताए कि पंजाब के किसानों के लिए क्या किया जा रहा है। किसान आंदोलन के दौरान सात सौ से अधिक किसान शहीद हुए हैं लेकिन चन्नी सरकार उनके लिए कुछ क्यों नहीं कर रही। पंजाब के किसान कर्जे में दबे हैं। 2017 में सत्ता में आते ही कांग्रेस सरकार ने किसान और मजदूरों का हर प्रकार का कर्जा माफ करने का वादा किया था। बादल सरकार की तरह आज भी कपास के खराब बीज और खराब कीटनाशक दवाइयां किसानों को दी गई। इसी कारण कपास की तैयार फसल गुलाबी सूंडी से बर्बाद हो गई।
शर्मा
वार्ता