Thursday, Apr 25 2024 | Time 21:35 Hrs(IST)
image
राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचल


हिमाचल के ऊना जिले में बनेगा मुर्रा भैंस प्रजनन केंद्र: कंवर

हिमाचल के ऊना जिले में बनेगा मुर्रा भैंस प्रजनन केंद्र: कंवर

शिमला, 10 अक्तूबर (वार्ता) हिमाचल प्रदेश सरकार ऊना जिले के बरनोह में मुर्रा भैंस प्रजाति के संवर्धन के लिए प्रजनन केंद्र स्थापित करेगी जिसके लिये केंद्र सरकार से 506.45 लाख रुपये का प्रावधान किया गया है।

राज्य के पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने आज यहां यह जानकारी देते हुये बताया कि मुर्रा भैंस की रोगमुक्त देसी नसल को बढ़ावा देकर हिमाचल प्रदेश तथा पड़ौसी राज्यों को उच्च गुणवत्ता के दूध, पनीर आदि पौष्टिक डेयरी उत्पाद मुहैया कराएगा। उन्होंने बताया कि यह प्रजनन केंद्र चार हैक्टेयर क्षेत्र में विकसित सिंचित उपजाऊ भूमि में राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास बोर्ड के तत्वाधान में संचालित किया जाएगा जहां विश्व की सबसे अच्छी दुधारू नस्ल की इस विशिष्ट प्रजाति को विकसित किया जाएगा ताकि इस तरह की भैंसों और इसके बछड़ों के विशिष्ट गुणों के मूल स्वरूप को संरक्षित रखा जा सके।



उन्होंने कहा कि प्रजनन केंद्र निर्माण कार्य शुरु हो चुका है। इसमें विशुद्ध देसी नसल के भैंसे के फ्रोजन शुक्राणुओं को कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से समृद्ध पौष्टिक दूध प्रदान करने वाली मुर्रा भैंस की विशुद्ध विशिष्ट देसी नस्ल की वंशवृद्धि की जाएगी। इस प्रजनन फार्म में राज्य सरकार 50 रोगमुक्त भैसों (50 व्यस्क व 20 बछिया) के पालन के लिए 75 लाख रुपये की लागत से अतिआधुनिक सुविधाओं से सुसजित तीन शैड स्थापित करेगी। विशिष्ट स्वास्थ्य एवं रोगमुक्त नसल की पहले या दूसरे दुग्धपायन की 30 व्यस्क भैसों तथा 20 बछड़ों को 36 लाख रुपये की लागत से दो बैच में सरकारी फार्म या किसानों से सीधे तौर पर खरीदा जाएगा।



श्री कंवर के अनुसार वर्ष 1960 से मुर्रा सांड बुलगारिया, ब्राजील, चीन तथा एशियाई देशों में निर्यात किये जा रहे हैं ताकि वहां की मूल प्रजाति को विकसित कर दूध उत्पादन में वृद्धि का सके। मुर्रा भैस को पूरे विश्व में दुग्ध उत्पादन के लिए जाना जाता है। यह भैंस पीक पीरियड में रोजाना 14 लीटर से 15 लीटर दूध प्रदान करती है जोकि कुछ मामलों में 31 लीटर तक भी दर्ज किया गया है। इस दूध में 7.5 प्रतिशत फैट रिकार्ड किया जाता है। अनेक बीमारियों के खिलाफ सदृढ़ प्रतिरक्षा रखने वाली यह प्रजाति विषम भौगोलिक परिस्थितियों में पहाड़ों में मौसम की मार झेलने में पूरी तरह सक्षम होती है तथा सूखे और अकाल जैसी परिस्थितियों में भी फसलों के अविशिष्ट खाकर भी जीवित रह सकती है।

रमेश1620वार्ता

image