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खेदड़ थर्मल प्लांट में सिर्फ पांच दिन का कोयला

हिसार, 12 अक्टूबर (वार्ता)देश के कई राज्यों में बिजली का संकट गहराता जा रहा है। हरियाणा में कोयले की कमी के कारण थर्मल प्लांट नहीं चलने से बिजली संकट की आशंका बढ़ती जा रही है।
हिसार जिले के गांव खेदड़ स्थापित राजीव गांधी थर्मल पॉवर प्लांट में दो यूनिट में से एक ही यूनिट चालू हालत में है। थर्मल के अधिकारियों के अनुसार, उनसे बिजली की जो मांग की जा रही है, उसी अनुसार उत्पादन किया जा रहा है। अगर ज्यादा डिमांड आती है तो दूसरी यूनिट चालू की जाएगी।
थर्मल के चीफ इंजीनियर एसके डागर के अनुसार, यदि कोयला नहीं आता है तो प्लांट में केवल 5 दिन तक एक यूनिट को चलाने का कोयले का स्टॉक बाकी है। फिलहाल प्लांट में कोयले के रैक लगातार आ रहे हैं। प्लांट में यदि कोयले की खपत की बात करें तो दोनों यूनिट चलने पर प्रतिदिन 5 हजार टन कोयले की खपत होती है। बिजली निगम के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास के अनुसार, बिजली की जितनी डिमांड होती है, उतनी हम आपूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। ये भी सच है कि कोयले की कमी बिजली कटौती का कारण बन रही है। अगले 7 दिनों में हालात को लेकर दोबारा समीक्षा की जाएगी। उसके बाद ही नई रुपरेखा तैयार की जाएगी।
राजीव गांधी थर्मल पॉवर प्लांट के अधिकारियों के अनुसार, प्लांट में कोयले की नियमित सप्लाई आ रही है, लेकिन स्टॉक अपेक्षाकृत कम है। प्लांट प्रशासन ने कहा कि फिलहाल 5 से 6 दिनों के लिए करीबन 12 हजार क्विंटल कोयले का स्टॉक शेष है। प्लांट में 600-600 मेगावाट की दो यूनिट हैं, जिनमें से एक चल रही है। एक यूनिट में प्रतिदिन ढाई हजार टन कोयले की खपत होती है। दूसरी यूनिट करीब 13 माह से बंद पड़ी है। प्लांट प्रशासन ने कहा कि देश में कोयले की आपूर्ति में कमी आई है, जिसका असर तो है लेकिन फिर भी उनके पास अभी समय पर कोयला पहुंच रहा है। प्लांट में अगर कोयले की क्वालिटी उच्च स्तर की हो तो एक यूनिट बिजली बनने में 650 ग्राम कोयले की खपत होती है।
राजीव गांधी खेदड़ पावर प्लांट सें एचवीपीनएल को बिजली आपूर्ति की जाती है। इसमें दो सर्किट हिसार बरवाला के गांव किरोड़ी स्थित 400 केवीए विद्युत संस्थान पर हैं। एक सर्किट सिरसा के गांव नुईयांवाली 400 केवीए, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के फतेहाबाद के गांव मताना में बने एक सर्किट में है, जहां से 400 केवीए बिजली की सप्लाई की जाती है। खेदड़ की ईकाई के ठप होने से बिजली आपूर्ति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन बिजली कंपनियों पर निर्भरता बढ़ जाएगी।
सं शर्मा
वार्ता
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