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वीरांगनाओं ने भी देश की आजादी की लड़ाई लड़ी: कौर

सिरसा 24जुलाई (वार्ता) अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की सिरसा इकाई द्वारा,आजादी की 75 वीं वर्षगाँठ, स्वतंत्रता सेनानी तथा अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की संस्थापक सदस्यों कैप्टन लक्ष्मी सहगल व विमल रनदिवे के स्मृति दिवस के उपलक्ष्य पर ‘आजादी के आंदोलन में महिलाओं की भूमिका’ विषय पर फ्रेंड्स कॉलोनी एवं ब्लूम मॉडल स्कूल, शाहपुर बेगू में विचार गोष्ठीयां आयोजित की गई जिनकी अध्यक्षता क्रमश: जिला प्रधान रेखा व हरबंस कौर ने की।
विचार गोष्ठी में राज्य कमेटी सदस्य एवं जिला सचिव एडवोकेट बलबीर कौर ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज की रूढीवादी बेडिय़ों को तोड़ कर बहुत सी वीरांगनाओं ने भी देश को आजाद करवाने की लड़ाई लड़ी जिनमें से बहुत सी गुमनाम हैं,परंतु स्वतंत्रता आंदोलन में जब बलिदान या संघर्ष की बात की जाती है तो हम केवल पुरुष स्वतंत्रता सेनानीयों को याद करते हैं। महिलाओं द्वारा किया गया बलिदान व संघर्ष आज भी हमारे जहन का हिस्सा नहीं बन पाए हैं, जबकि सच्चाई ये है कि महिलाओं के योगदान के बिना देश को आजाद कराना और भी मुश्किल था।
जिला कमेटी सदस्य सरबजीत कौर ने कहा कि आज हम कैप्टन लक्ष्मी सहगल के स्मृति दिवस पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं वे सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फ ौज में महिला शाखा ‘रानी झांसी रेजिमेंट’ की कप्तान बनी व छोटी उम्र में ही वे आजादी के आंदोलन में कूद पड़ी और दलितों के मंदिर प्रवेश के लिए तथा बाल विवाह व दहेज प्रथा के विरोध मे अभियान चलाये व एम बी बी एस की पढ़ाई की। आजादी के बाद भी दलितों, शोषितों, मेहनतकशो , उत्पीडऩ के शिकार महिलाओं के लिए और मानव सेवा में अपना जीवन लगा दिया। कैप्टन लक्ष्मी सहगल ने न केवल आजादी के लिए संघर्ष किया बल्कि आजादी के बाद भी आजीवन अन्याय व शोषण के खिलाफ लड़ती रहीं।
जिला कोषाध्यक्ष नीलम ने स्वतंत्रता सेनानी विमल रनदिवे के बारे में बताते हुए कहा कि 12 वर्ष की उम्र में आंदोलन में कूदी विमल को 15 साल की उम्र में एक विदेशी कपड़े की दुकान का घेराव करने के आरोप में गिरफ्तार करने पर जज द्वारा माफी मांगने की शर्त पर रिहा करने की बात करने पर विमल ने कहा कि हमें पता है हमने क्या किया है और किसलिए, हम माफी नहीं मांगेंगे और खुशी से जेल गई अन्याय,शोषण,सम्राज्यवादी आक्रामकता से लडऩे की उनकी इच्छा थी।
इस अवसर पर अहिल्या रंगनेकर, कनक मुखर्जी, मल्लू स्वराजयम, पापा उमा नाथ के अलावा रानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, बेगम हजरत महल, दुर्गा भाभी, मूलमति, शहीद भगत सिंह की माता के आजादी के संघर्षोंं में योगदान को याद किया गया। इस अवसर पर आजादी के परवानो के सपनों का भारत बनाने व संघर्षोंं से मिली आजादी को बचाने के लिए संकल्प लेने का आह्वान किया गया। इस अवसर पर सतिंदर कौर, स्कूल के छात्र- छात्राओं , रुकमणि, मनोरमा, कैलाश, लखपति, रतनेश,रोशनी, प्रोमिला, सुमन, नीलम सहित कई महिलाओं ने भाग लिया।
सं.संजय
वार्ता
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