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मां बोली के प्रसार में महत्वपूर्ण हो सकती है माताओं की भूमिका : बराड़

सिरसा 25 जुलाई (वार्ता) प्रवासी पंजाबी लेखक मिंटू बराड़ का कहना है कि पंजाबी भाषा, सभ्याचार, साहित्य और विरासत को अगली पीढ़ी तक पहुंचाना और अपनी पहचान को कायम रखना वैसे तो हर पंजाबी की जिम्मेदारी है लेकिन पंजाबी मातायें इस मिशन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं।
सिरसा के गांव देसु में जन्मे और ऑस्ट्रेलिया में जा बसे मिंटू बराड़ पंजाबी सत्कार सभा द्वारा स्थनीय श्री युवक साहित्य सदन में आयोजित रूबरू कार्यक्रम में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि अपनी मां बोली से ही कोई भी व्यक्ति अपने भावों की सही अभिव्यक्ति कर सकता है इस लिए सरकारों और लोगों को इनके विकास के प्रति गंभीर प्रयास करने चाहिए। मिंटू बराड़ ने आस्टे्रलिया में अपने निवास और पाकिस्तान में अपने हाल ही के प्रवास के अनेक संस्मरण भी उपस्तिथजनों से सांझे किये। समरोह में पंजाबी गीत-कविताओं का संगीत से सजी प्रस्तुतियों का उपस्थितजनों ने भरपूर आनंद उठाया। डबवाली की वंदना वाणी, रसदीप सिंह गिल, जसदीप सिंह गिल, मास्टर कुलदीप, हीरा सिंह, अमरजीत सिंह संधू और हरगोबिंद सिंह सिधु ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों का मन मोह लिए। इस अवसर पर प्रख्यात रंगकर्मी संजीव शाद ने सामजिक जीवन के अनेक पहलुओं को चित्रित करती काव्य रचनाओं की प्रस्तुति देते हुए मेला लूटा। समारोह में हरगोबिंद सिंह सिधु की काव्य पुस्तक ‘मोमबत्तियां’ का लोकार्पण किया गया और इस पुस्तक की समीक्षा वरिष्ठ पत्रकार व लेखक भूपिंदर पन्नीवालिया द्वारा की गई।
समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे वरिष्ठ पत्रकार गुरजीत मान ने कहा कि सिरसा के अनेक लोगों ने अपनी भाषा, संस्कृति और विरासत के लिए आजीवन काम किया है इस लिए हमारा भी फज़ऱ् बनता है कि हम उनके काम को आगे बढ़ाते हुए इस खजाने की अमीरी को बढ़ाएं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ शेर चंद ने समारोह की प्रस्तुतियों पर टिप्पणी करते हुए सभा के प्रयास को सार्थक बताया और इसे आगे बढ़ाने पर बल दिया। इससे पहले सभा के प्रधान प्रदीप सचदेवा ने समारोह में पहुंचे अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत करते हुए सभा द्वारा पिछले एक दशक से की जा रही गतिविधियों की जानकारी दी।
सं.संजय
वार्ता
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