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उपभोक्ता एवं संघीय ढांचे विरोधी बिजली बिल तुरंत वापस ले मोदी सरकार: महिला किसान यूनियन

जालंधर, 08 अगस्त (वार्ता) केंद्र के प्रस्तावित बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार पर कड़ा प्रहार करते हुए महिला किसान यूनियन ने मांग की है कि कारपोरेट घरानों को बिजली वितरण की पूरी आजादी देने, राज्यों के अधिकारों का हनन करने, किसानों और गरीब उपभोक्ताओं समेत बिजली कर्मचारियों के हितों के खिलाफ लाए जा रहे इस काले बिजली बिल को तत्काल वापस लिया जाए।
इसके इलावा राज्यों के मुख्यमंत्रियों और विपक्षी दलों से इस कारपोरेट समर्थक विधेयक का कड़ा विरोध करने की मांग करते हुए महिला किसान यूनियन ने सोमवार को कहा है कि इस विधेयक के कानून बनने के बाद राज्य बिजली बोर्डों के अधिकार नामात्र रह जाएँगे और सभी शक्तियां केंद्र सरकार और केंद्रीय बिजली कमिशन के पास चली जाएगी।
महिला किसान यूनियन की अध्यक्ष बीबा राजविंदर कौर राजू ने पत्रकारों से कहा कि यह विधेयक सीधे तौर पर राज्यों के अधिकारों का हनन करता है जबकि बिजली का विषय संविधान के तहत समवर्ती विषय है। इसलिये संघीय ढांचे की मूल भावना के अनुसार इतना महत्वपूर्ण विधेयक राज्यों से परामर्श के बाद ही लाया जाना चाहिए था।
किसान नेता ने कहा कि मौजूदा मानसून सत्र में इस काले बिल को जल्दी में पेश करने से पहले सभी संबंधित पक्षों के साथ एक खुली चर्चा की जानी चाहिए क्योंकि यह बिल सरकारी बिजली बोर्डों के अधिकार कम करने और कॉर्पोरेट बिजली कंपनियों को खुली छोट देने के लिए लाया जा रहा है।
महिला नेता ने मोदी सरकार को याद दिलाया कि नौ दिसंबर, 2021 को तीन कृषि कानूनों को निरस्त करते समय केंद्र ने आश्वासन दिया था कि वह किसानों और सभी हितधारकों के साथ पूर्व परामर्श के बिना बिजली संशोधन विधेयक के कार्यान्वयन के साथ आगे नहीं बढ़ेगी, पर अभी सरकार अपने किये वादे से भाग रही है।
बीबा राजू ने केंद्र को खबरदार करते हुए कहा कि यदि संशोधन विधेयक अपने वर्तमान स्वरूप में लागू किया जाता है, तो यह देश में और अधिक विरोध और अशांति पैदा होगी क्योंकि किसानों और समाज के पिछड़े वर्गों का मानना ​​​​है कि यह बिजली विधेयक उनके हितों के लिए नुकसानदेह है। उन्होंने कहा कि इस बिल में सभी श्रेणी के उपभोक्ताओं को बिजली उपलब्ध कराने के लिए सरकारी बिजली बोर्ड को बाध्य किया हैं। इस प्रकार निजी कंपनियां केवल लाभदायक औद्योगिक और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को बिजली की आपूर्ति करेंगी। सरकारी वितरण कंपनियों द्वारा किसानों और पिछड़े वर्गों के उपभोक्ताओं को मुफ़्त या कम कीमत पर बिजली उपलब्ध कराने से उन्हें अधिक नुकसान होगा और धीरे-धीरे घाटे में जाने वाले बिजली बोर्डों को बंद करने की नौबत आ जाएगी।
महिला नेता ने आरोप लगाया कि कॉरपोरेट समर्थक भाजपा सरकार पूरे देश में बिजली वितरण का मुंबई मॉडल थोप रही है जहां अदाणी और टाटा उपभोक्ताओं को 12-14 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली मुहैया करा रहे हैं। उन्होंने आगाह किया कि यह कॉर्पोरेट प्रथा आम उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी है और भविष्य में उपभोक्ताओं को गंभीर खतरे में डाल देगी।
उन्होंने खुलासा किया कि पवन ऊर्जा के नियमों के अनुसार अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्व के तहत, यह बिल प्रमुख बिजली खरीदारों जैसे बिजली बोर्डों, बड़े उपभोक्ताओं और क्षमता उपयोगकर्ताओं को अक्षय ऊर्जा का एक निश्चित हिस्सा खरीदने के लिए बाध्य करता है जिसे कॉर्पोरेट व्यवसायों से खरीदने की आवश्यकता होती है। इसलिये यह आदेश भी पूंजीपतियों के पक्ष में जाता हैं क्योंकि वे पूर्व-हस्ताक्षरित बिजली खरीद समझौतों के अनुसार बहुत अधिक महंगी बिजली बेचते हैं।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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