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हिमाचल सरकार के जबाव से असंतुष्ट विपक्ष ने काम रोको प्रस्ताव पर किया बहिर्गमन

शिमला, 14 मार्च (वार्ता) हिमाचल प्रदेश विधानसभा सत्र के पहले दिन प्रश्नकाल से पहले विपक्ष ने नियम 67 के अंतर्गत काम रोको प्रस्ताव और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने क्षेत्र विकास विधायक निधि की आखिरी किस्त जारी करने को लेकर सदन में चर्चा की मांग की। इसके बाद सदन में गहमागहमी हुई और बेनतीजा बहस के बीच विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया।
भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि की अंतिम किस्त से हमें वंचित कर दिया गया है। विवेकाधीन अनुदान भी रोका गया है। श्री परमार ने कहा कि चुने हुए प्रतिनिधियों को जो निधि मिलती है, उसके लिए नोटिस दिए गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के कार्यकाल में विधायक क्षेत्र विकास निधि को दो करोड़ रुपये किया गया है। अब जबकि मार्च आ गया है। अभी तक तीसरी किस्त नहीं दी गई है। नियम-67 के तहत नौ विधायकों ने यह प्रस्ताव दिया।
श्री ठाकुर ने वर्तमान सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बदलने के बाद कांग्रेस ने यह राशि रोक दी। बजट का हवाला देते हुए विधायकों को विकास के लिए दी जाने वाली राशि को रोक दिया। उन्होंने कहा कि पूरी जिम्मेदारी के साथ विपक्ष अपनी जिम्मेदारी निभाएगा।
उन्होंने कहा कि पिछली जयराम सरकार ने जो विधायकों के क्षेत्रों के विकास के लिए विधायक निधि का प्रावधान किया था। उसको सुक्खू सरकार ने खत्म कर दिया है। इस पर चर्चा की जाए, लेकिन सत्ता पक्ष की संसदीय मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा गया कि एक घंटा पहले ही विपक्ष की तरफ से प्रस्ताव दिया है। जिस पर व्यवस्था दी जायेगी। जिस पर विपक्ष ने हंगामा शुरू हो गया है।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा की जयराम सरकार हिमाचल पर 78 हजार करोड़ का कर्जा छोड़कर गई है। इसलिए विधायक निधि को बन्द किया गया है। इस पर दोनों पक्षों की ओर जोरदार बहस हुई और विपक्ष ने नारेबाज़ी शुरू कर दी।
इस पर विपक्ष के नेता जयराम ठाकुर ने सदन में कहा की वीरभद्र सिंह की कांग्रेस सरकार 2017 में 48000 करोड़ का कर्जा छोड़ कर गई थी। भाजपा सरकार ने मात्र 20000 करोड का ही कर्जा लिया है जो कि 68 हजार करोड़ था। सरकार गलत आंकड़े पेश कर विपक्ष को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
नेता प्रतिपक्ष ठाकुर ने कहा कि काम रोको प्रस्ताव की मांग की और क्षेत्र विकास विधायक निधि को बहाल करने पर चर्चा करने की मांग की। इस पर सरकार की ओर से गोल मोल जवाब देने की कोशिश की गई, जिसको लेकर विपक्ष ने वॉकआउट करने का फैसला किया। श्री ठाकुर ने कहा कि पूर्व सरकार ने जिस क्षेत्र विकास विधायक निधि को कोविड-19 के समय में काम किया था। उसे फिर और बढ़ाकर दो करोड़ रुपए कर दिया था। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के दौरान इस निधि का डेढ़ करोड़ रुपए जारी कर दिया गया था और बची हुई आखिरी 50 लाख की राशि चुनावों के बाद जारी होनी थी।
विपक्ष के हंगामे के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने विधायक क्षेत्र विकास निधि रोकने के मामले में कहा कि सभी संस्थान खोले जाएं तो कुल कर्ज 91 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश आर्थिक बदहाली से गुजर रहा है। अगर हम राजकोषीय अनुशासन में नहीं रहेंगे तो परेशानी होगी। उन्होंने कहा कि काम रोको प्रस्ताव तब आता है जब कोई विपदा आए।
उन्होंने कहा कि श्री अग्निहोत्री सही कह रहे हैं कि ये चैंबर में बैठते तो इस समस्या को सुलझाया जाता। सरकार व्यवस्था परिवर्तन कर रही है। अगर काम रोको प्रस्ताव को ये विधायकों की निधि से जोड़ते हैं तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। हमारे विधायकों को भी तो जनता ने चुना है।
सं. उप्रेती
वार्ता
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