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राहुल गांधी मुद्दे पर कांग्रेस का सदन स्थगित करना दुर्भाग्यपूर्णः जयराम

शिमला, 25 मार्च (वार्ता) हिमाचल विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सूरत की अदालत द्वारा सुनाई गई दो साल की सज़ा को लेकर राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा सत्र की बैठक स्थगित किये जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
श्री ठाकुर ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 102 (1) जनप्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा आठ के अंतर्गत स्पष्ट लिखा है की अगर किसी सांसद या विधायक को किसी अपराध में दोषी ठहराया जाता है और उसे दो साल या इससे ज्यादा समय के लिए सजा सुनाई जाती है तो उसकी संसद या विधानसभा की सदस्यता समाप्त हो जाती है। उन्होंने कहा कि इससे साफ है कि श्री गांधी की सदस्यता समाप्त करना न तो राजनीति और न ही विद्धेष से प्रेरित है। यह संविधान के तहत समाप्त की गई है।
उन्होंने सूरत की अदालत के निर्णय के आलोक में श्री गांधी की लोकसभा की सदस्यता समाप्त होने के बाद कल जो यहां विधानसभा में हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण था जब प्रदेश के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और मंत्रियों ने संवैधानिक पदों पर रहते हुये विधानसभा का बहिष्कार किया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाते हुए सदन से बाहर चले गये। यह सरकार के संवैधानिक पदों पर बैठे प्रतिनिधियों को शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि भाजपा विधायक दल ने पॉइंट ऑफ आर्डर के तहत राहुल गांधी मुद्दे पर चर्चा की मांग की पर सभी कांग्रेस नेता सीटों से उठ कर सदन से बाहर चले गये तथा सदन को स्थगित कर दिया गया जो ठीक नहीं था।
श्री ठाकुर ने कहा कि श्री गांधी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है और उनकी आदत बन चुकी है कि वह अपने भाषण में आम जनता और विभिन्न सामाजिक समुदाय की भावनाओं को वह बार बार ठेस पहुंचाते हैं। ऐसी एक नहीं बल्कि अनेकों घटनाएं हो चुकी हैं और अब तो ऐसी घटनाएं देश तक सीमित नहीं रही हैं बल्कि विदेश में भी की जा चुकी हैं। राहुल गांधी के ऊपर मानहानि के अनेकों मामले देश में चल रहे हैं।
उच्चतम न्यायालय ने 11 जुलाई 2013 को अपने फैसले में कहा था कि कोई भी सांसद या विधायक निचली अदालत से दोषी करार दिए जाने की तारीख से ही संसद या विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य घोषित हो जाएगा, इस फैसले के उपरांत कानून ने केवल अपना कार्य किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी सांसद की सदस्यता इस कानून के अंतर्गत रद्द की गई है। वर्ष 1976 में सुब्रह्मण्यन स्वामी, 1978 में इंदिरा गांधी, 2005 में 11 सांसद, 2013 में लालू प्रसाद यादव जैसे कई नेता अपनी सदस्यता इस कानून के अंतर्गत खो चुके हैं।
सं.रमेश, उप्रेती
वार्ता
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