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भारत में दुनिया की करीब 70 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं का उत्पादन : मदान

सिरसा 25 मार्च (वार्ता) हरियाणा के रोहतक स्थित महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी में फैकल्टी ऑफ़ फामाज़्स्यूटिकल के पूर्व डीन (सेवानिवृत्त) प्रोफेसर ए.के. मदान ने अपने संबोधन में दावा किया कि दुनिया की करीब सत्तर प्रतिशत जेनेरिक दवाओं का उत्पादन भारत में होता है।
प्रो. मदान ने कहा कि जेनेरिक दवाओं की अफ्रीका की कुल मांग का पचास प्रतिशत, अमेरिका की मांग का चालीस प्रतिशत तथा ब्रिटेन की कुल दवा मांग का पच्चीस प्रतिशत हिस्सा भारत से ही जाता है। दुनिया के साठ फीसद टीकों का उत्पादन भारत में होता है। इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनिवार्य टीकाकरण योजनाओं के लिए सत्तर प्रतिशत टीकों की आपूर्ति भारतीय दवा निर्माता कंपनियों द्वारा की जाती है।
जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित जेसीडी कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी में दो दिवसीय इंटरनेशनल कांफ्रेंस आयोजित की गई। एसोसिएशन ऑफ़ फार्मास्यूटिकल टीचर्स ऑफ इंडिया द्वारा सह प्रायोजित यह कॉन्फ्रेंस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन रिसेंट डेवलपमेंट्स रेगुलेटरी चैलेंजिस डिजाइन एंड फॉमूर्लेशन ऑफ फ्यूचर थेरेपी टिकल्स विषय पर आधारित हैं। कार्यक्रम का उद्घाटन प्रोफेसर मदान ने किया। कांफ्रेंस की अध्यक्षता डॉ. गजेंद्र सिंह डीन फैकल्टी ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज रोहतक एवं जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ कुलदीप सिंह ढींडसा द्वारा की गई। इस कार्यक्रम में डॉ. नीलू सूद प्राचार्य बीपीएस विश्वविद्यालय खानपुर कला सोनीपत विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। जेसीडी विद्यापीठ के महानिदेशक अंतराज़्ष्ट्रीय ख्याति प्राप्त डॉ कुलदीप सिंह जी ढींडसा द्वारा सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। डॉ. ढींडसा ने मुख्यतिथि एवं सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुए कहा कि इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य आपके सभी विशेषज्ञों को एक मंच पर लाकर उनके अनुभव और ज्ञान को आपस में सांझा करना है इससे चिकित्सा जगत में कई घातक बीमारियों के खिलाफ नई-नई दवाइयों की खोज का रास्ता खुलेगा।
प्रोफेसर ढींडसा ने कहा कि हमारे क्षेत्र में शोध का बहुत महत्व है इसलिए हर स्टूडेंट और हर किसी को साइंटिफिक तरीके से काम करना चाहिए यही आपको सफलता दिलाती है। तत्पश्चात सभी अतिथिगणों द्वारा कॉन्फ्रेंस में प्रकाशित एब्स्ट्रेक्ट बुक का विमोचन किया गया। कांफ्रेंस के विशिष्ट अतिथि एवं डीन फैकल्टी ऑफ फ ार्मास्यूटिकल साइंसेज पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज रोहतक डॉ.गजेंद्र सिंह ने अपने व्याख्यान में पोटैशियम साइनेट का उपयोग इंजेक्शन फॉमूर्लेशन में बारीकियों से बताया।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर ए.के. मदान ने अपने संबोधन में कहा दुनिया की करीब सत्तर प्रतिशत जेनेरिक दवाओं का उत्पादन भारत में होता है। जेनेरिक दवाओं की अफ्रीका की कुल मांग का पचास प्रतिशत, अमेरिका की मांग का चालीस प्रतिशत तथा ब्रिटेन की कुल दवा मांग का पच्चीस प्रतिशत हिस्सा भारत से ही जाता है। दुनिया के साठ फीसद टीकों का उत्पादन भारत में होता है। इसके अलावा, विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीकाकरण योजनाओं के लिए सत्तर प्रतिशत टीकों की आपूर्ति भारतीय दवा कंपनियों द्वारा की जाती है।
साइंटिफिक सत्र प्रथम में डॉक्टर नीलू सूद एवं डॉ जयप्रकाश की चेयरपर्सनशीप में डॉ राहुल तनेजा साइंटिस्ट पेटेंट इनफॉरमेशन सेंटर पंचकूला ने कहा कि हम सभी किसी भी दवाई या अन्य उत्पाद के पेटेंट ट्रेडमार्क, सर्विस मार्क एवं रजिस्टर्ड मार्क के बारे में जानकारी हासिल कर लेते हैं इससे हम बाजार में उत्पादों की नकल उनसे मिलते-जुलते आकार एवं रंगो जैसी निर्मित नकली वस्तुओं की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं अक्सर नकली उत्पादों से नकल करने वालों को लाभ पहुंचता है और असल निमातज़ को हानि का सामना करना पड़ता है इसीलिए हम सभी की यही जिम्मेवारी बनती है कि नकली उत्पादों पर रोक लगाने के लिए प्रयास करें।
साइंटिफिक सत्र द्वितीय में डॉ. संजीव कालड़ा, प्राचार्य राजेंद्र कॉलेज ऑफ फार्मेसी सिरसा तथा डॉ सुरेंद्र गोयल प्राचार्य विद्यासागर पॉलिटेक्निक एंड फार्मेसी कॉलेज आलूपुर, पंजाब सत्र के चेयरपर्सन रहे तथा मिस्टर कृणाल प्रजापति, हेड ऑफ प्रोडक्शन आईपीएस फार्मा ,यूनाइटेड किंगडम ऑनलाइन मुख्य वक्ता रहे उन्होंने फामाज़्स्यूटिकल इंडस्ट्री में होने वाले गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज के बारे में विस्तार से बताया
सं.संजय
वार्ता
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