राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Feb 8 2024 6:55PM हिमाचल को आवारा पशु मुक्त बनाने के लिए मंदिर निधि का उपयोग किया जाना चाहिए: शांता कुमारपालमपुर, 08 फरवरी (वार्ता) हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने गुरुवार को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से अनुरोध किया कि वह राज्य के हर बड़े मंदिर की ओर से एक गौशाला चलाये जाने की योजना के संबंध में कदम उठायें।श्री कुमार ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मंदिर इतने समृद्ध हैं कि किसी भी बड़े मंदिर के पैसे से एक अच्छी गौशाला चलाई जा सकती है और योजना के कार्यान्वयन के लिए सरकारी खजाने पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा और मंदिरों का पैसा खर्च होगा। उचित उपयोग भी किया। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में घर-घर में पूजी जाने वाली गौ माता सड़कों पर आवारा पशु बनकर घूमती हैं। अब बैल खेती के काम के नहीं रहे। इसीलिए गाय माता ही नहीं, बछड़े और बैल भी सड़कों पर आवारा पशु बनकर घूमते हैं। कई बार तो सड़कों पर चलना भी मुश्किल हो जाता है। कई बार आवारा जानवरों की वजह से सड़क दुर्घटनाएं हो जाती हैं। हाल ही में, हिमाचल में एक आवारा सांड ने एक व्यक्ति पर हमला कर दिया और उसकी मौत हो गई। कई जगहों पर आवारा जानवरों के आतंक के कारण लोगों ने खेती करना बंद कर दिया है। उन्होंने कहा कि हर बड़े मंदिर के पास एक अच्छी गौशाला चलाने के लिए वित्तीय साधन हैं। राज्य सरकार मंदिरों में बेकार पड़े पैसे से पहाड़ी राज्य को आवारा पशु मुक्त बनाने के लिए ऐसी योजना लागू कर सकती है।पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार का पूरा खजाना मंदिरों की संचयी संपत्ति से भी कम है और दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों के कमरों में सोने और चांदी की मात्रा की गिनती भी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि तिरुपति मंदिर में आने वाले सबसे अमीर भक्त अपना सिर मुंडवाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले साल मुंडन के उन बालों की नीलामी से 39 करोड़ रुपये की आय हुई थी। उन्होंने दावा किया कि इस मंदिर में 52 टन सोना है और इसकी कीमत 37 हजार करोड़ रुपये हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के केवल 10 बड़े मंदिरों के पास 300 करोड़ रुपये की एफडी और 110 क्विंटल सोना है। इसके अलावा, सभी मंदिरों में अकूत संपत्ति है।श्रद्धा,आशावार्ता