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जीएनडीयू ने पद्मश्री सुरजीत पातर के आकस्मिक निधन पर शोक व्यक्त किया

अमृतसर, 11 मई (वार्ता) गुरुनानक देव विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर डॉ जसपाल सिंह संधू ने प्रख्यात कवि और पद्य श्री पुरस्कार से सम्मानित डॉ सुरजीत पातर के आकस्मिक निधन पर गहरा दुख व्यक्त किया है। आज 79 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया।
डॉ जसपाल सिंह ने कहा कि डॉ पातर के निधन से पंजाबी साहित्य और अकादमिक जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। उन्होंने कहा कि सुरजीत पातर गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र थे। उन्होंने 1997 में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ पंजाबी स्टडीज से प्रोफेसर डॉ जोगिंदर सिंह कैरों की देखरेख में ‘नानक-बानी में लोककथाओं की सामग्री का परिवर्तन’विषय पर डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की। उन्हें 2012 में गुरु नानक देव विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (ऑनर्स काजा) से भी सम्मानित किया गया था। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय का थीम सॉन्ग भी पातर साहिब द्वारा रचित था। वह गुरु नानक देव विश्वविद्यालय से गहराई से जुड़े हुये थे और हमेशा इस विश्वविद्यालय की साहित्यिक और शैक्षणिक गतिविधियों में शामिल रहते थे।
प्रो संधू ने कहा कि डॉ पातर अपनी उच्च कोटि की कविता के कारण अपने पाठकों की स्मृतियों में सदैव जीवित रहेंगे। रजिस्ट्रार डॉ करनजीत सिंह काहलों ने कहा कि पातर साहब के निधन से पूरा पंजाबी साहित्य जगत गहरे सदमे में है। डीन एकेडमिक अफेयर्स डॉ पलविंदर सिंह ने भी डॉ पातर के निधन पर दुख जताया और इसे पंजाबी साहित्य जगत के लिये बड़ी क्षति बताया। स्कूल ऑफ पंजाबी स्टडीज के प्रमुख डॉ मनजिंदर सिंह ने दुख व्यक्त करते हुये कहा कि पंजाबी दुनिया में कोई दूसरा पातर साहिब नहीं है और उनकी कलम से निकला शाश्वत सत्य हमेशा आने वाली पीढ़ियों का मार्गदर्शन करता रहेगा।
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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