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हवाई अड्डों पर सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण पहनने पर लगी रोक हटाई जाये:एबीएम

अमृतसर 05 नवंबर (वार्ता) अमृतसर विकास मंच (एवीएम) और फ्लाईअमृतसर इनिशिएटिव (एफएआई) ने मंगलवार को नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) द्वारा भारत के हवाई अड्डों पर सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण पहनने पर लगाई गयी रोक को हटाने का आग्रह किया है।
एवीएम और एफएआई ने औपचारिक रूप से शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा और नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू से भारतीय हवाई अड्डों पर कृपाण और अन्य धार्मिक प्रतीकों को धारण करने वाले सिख यात्रियों और कर्मचारियों पर लगाये गये प्रतिबंधों को दूर करने का आग्रह किया है। दोनों संगठन नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) के हालिया निर्देश में संशोधन की वकालत कर रहे हैं, जो सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण ले जाने से रोकता है, जिसका असर देश भर के हवाई अड्डों पर सिख कर्मचारियों पर पड़ रहा है।
फ्लाई अमृतसर पहल के वैश्विक संयोजक और एवीएम के ओवरसीज सचिव समीप सिंह गुमटाला और एवीएम के संरक्षक प्रिंसिपल कुलवंत सिंह अंखी ने एक संयुक्त बयान में इस बात पर जोर डाला कि 30 अक्टूबर, 2024 को जारी बीसीएएस के आदेश में सिख यात्रियों को घरेलू उड़ानों में छह इंच से कम ब्लेड वाले कृपाण ले जाने की अनुमति दी गयी है, लेकिन यह आदेश स्पष्ट रूप से सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण पहनने से रोकता है। इस धारा के कारण श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अमृतसर सहित भारतीय हवाई अड्डों पर कई घटनायें हुई हैं, जहां बपतिस्मा प्राप्त सिख कर्मचारियों को सुरक्षा जांच के बाद टर्मिनल क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोक दिया गया है, जिससे उनके पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न हो रही है।
एवीएम और एफएआई ने बीसीएएस से इस प्रतिबंधात्मक धारा को हटाने और सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण पहनने की स्पष्ट रूप से अनुमति देने का पुरजोर आग्रह किया है।
गुमटाला ने कहा, “ किसी के धर्म का पालन करने के अधिकार को रोजगार द्वारा सीमित नहीं किया जाना चाहिये, यह निर्देश सिख कर्मचारियों पर अनुचित बोझ डालता है।”
ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश सिख हवाईअड्डे के कर्मचारियों को हवाईअड्डे पर कृपाण धारण करने की अनुमति देते हैं, जिससे धार्मिक अधिकारों और सुरक्षा चिंताओं के बीच संतुलन बना रहता है। सिख कर्मचारियों को कृपाण धारण करने की स्पष्ट अनुमति देने के लिये वर्तमान नीतियों में संशोधन करके और सिख यात्रियों के धार्मिक प्रतीकों के साथ सुसंगत, सम्मानजनक व्यवहार सुनिश्चित करके, भारत, जहां सबसे बड़ी सिख आबादी है, धार्मिक विविधता के प्रति समावेशिता और सम्मान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को और मजबूत कर सकता है।
अपने पत्र में गुमटाला और अंखी ने ऐसे मामलों का भी हवाला दिया, जहां अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिये सुरक्षा जांच के दौरान सिख यात्रियों को गले में पहनी जाने वाली छोटी, हानिरहित कृपाणें और खंडा और कंगा (कंघी) जैसी प्रतीकात्मक वस्तुयें भी उतारनी पड़ती थीं। अमेरिका, कनाडा और नीदरलैंड जैसे विदेशी हवाई अड्डों से भारत आने वाले यात्रियों ने इन प्रतीकों को ले जाने में कोई समस्या नहीं बताई, फिर भी अमृतसर और दिल्ली सहित भारतीय हवाई अड्डों से प्रस्थान करने पर उन्हें अप्रत्याशित रूप से इन्हें छोड़ना पड़ता है।
अंखी ने कहा, ‘अपने देश में किसी के धर्म का पालन करने के अधिकार पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाना चाहिये। हमारी सरकार के पास इन धार्मिक प्रतीकों का सम्मान करके और यह सुनिश्चित करके एक मजबूत उदाहरण स्थापित करने की शक्ति है कि भारत सभी धर्मों के लिये एक स्वागत योग्य स्थान बना रहे।
एवीएम और एफएआई ने एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी से सिख यात्रियों और कर्मचारियों की ओर से वकालत करने का भी आग्रह किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान और सुरक्षा की जाये। उन्होंने हवाई अड्डों पर सिख धार्मिक प्रतीकों पर और अधिक प्रतिबंध लगाने से रोकने के लिये भारत सरकार के साथ इन चिंताओं को उठाने में एसजीपीसी के समर्थन का अनुरोध किया। इसके अतिरिक्त एवीएम और एफएआई ने मंत्री नायडू से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है, क्योंकि बीसीएएस नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधीन काम करता है, और अनुरोध किया है कि वह सिख धार्मिक प्रतीकों को संभालने में स्थिरता सुनिश्चित करने के लिये इन नीतियों की समीक्षा करें।
उन्होंने एनसीएम के अध्यक्ष लालपुरा से भी अपील की है, जिसमें इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि एक सिख होने के नाते, वह कृपाण के महत्व और इसके हानिरहित, प्रतीकात्मक स्वभाव को समझेंगे।
अंखी ने कहा, “ हमें विश्वास है कि एसजीपीसी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, नागरिक उड्डयन मंत्रालय के त्वरित हस्तक्षेप से भारत के हवाई अड्डों पर सिख यात्रियों और कर्मचारियों की गरिमा और अधिकारों की रक्षा करने में मदद मिलेगी।”
ठाकुर.श्रवण
वार्ता
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