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कृषि वैज्ञानिक पंजाब को बचाने के लिए किसानों का मार्गदर्शन करें: मान

लुधियाना, 12 नवंबर (वार्ता) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने मंगलवार को दुनिया भर के कृषि वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से किसानों के लिए मार्गदर्शक बनने का आह्वान किया, जिससे वे राज्य में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने में सक्षम हो सकें।
मुख्यमंत्री ने पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा परिवर्तन की स्थिति में कृषि खाद्य प्रणालियों को बदलने पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में अपने संबोधन में, विशेष रूप से चावल और गेहूं के गहन उत्पादन के कारण पंजाब की संवेदनशीलता के मद्देनजर कृषि पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को संबोधित करने की तात्कालिकता पर जोर दिया।
श्री मान ने कहा कि लचीलापन, अधिक पैदावार और पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी में तेजी लाने के लिए फसल विविधीकरण की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर इस प्रतिष्ठित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लेने वाले वैज्ञानिकों को राज्य में फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के लिए अधिक से अधिक काम करने के लिए प्रोत्साहित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब की कृषि समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ तरीकों को अपनाने में हमारे किसानों का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी वैज्ञानिकों पर है। जलवायु परिवर्तन से निपटने की तात्कालिकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि कार्रवाई में विफलता के भविष्य की पीढ़ियों पर गंभीर परिणाम होंगे।
उन्होंने चिंताजनक आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि एक किलोग्राम चावल उगाने के लिए 3,000 लीटर पानी की आवश्यकता होती है और जो मोटरें खाड़ी देशों में पेट्रोल निकालती हैं, वही राज्य में जमीन के नीचे से पानी निकालने के लिए उपयोग की जाती हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह अस्थिर प्रथा पांच नदियों के नाम पर बने राज्य पंजाब की नींव और अस्तित्व को खतरे में डालती है। इस संकट को कम करने के लिए मुख्यमंत्री ने वैकल्पिक जल बचत वाली फसलें अपनाने की वकालत की ताकि राज्य में कृषि को बचाया जा सके।
श्री मान ने याद दिलाया कि पंजाब ने भारत में हरित क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और राज्य के किसानों ने पंजाब को खाद्यान्न के लिए अधिशेष राज्य में बदल दिया है और राष्ट्रीय खाद्य पूल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि चूंकि कृषि उत्पादन पठार के स्तर पर पहुंच गया है, इसलिए फलों और सब्जियों जैसी उच्च मूल्य वाली फसलों के माध्यम से कृषि विविधीकरण में तेजी लाना जरूरी है।
ठाकुर.संजय
वार्ता
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