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नागौर से कांग्रेस के ही प्रत्याशी रामरघुनाथ चौधरी ने वर्ष 1998 एवं 1999 के दोनों चुनाव जीतकर अपना प्रभुत्व दिखाया था। श्री नाथूराम मिर्धा की पोती ज्योति मिर्धा भी कांग्रेस के टिकट पर वर्ष 2009 में चुनाव जीत चुकी हैं लेकिन वह इससे अगला चुनाव हार गई थी। हालांकि इस बार सत्रहवीं लोकसभा में उन्हें फिर से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाये जाने की चर्चा हैं और अगर उन्हें टिकट मिलता है तो उनके सामने फिर से अपना राजनीतिक प्रभुत्व कामय करने की चुनौती रहेगी। वहीं मौजूदा सांसद एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री सी आर चौधरी अगर यहां से चुनाव लड़ते है तो उनके लिए अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने की चुनौती होगी। नागौर जिले में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रामनिवास मिर्धा का भी काफी राजनीतिक प्रभुत्व रहा लेकिन उन्होंने अपने गृह जिले से केवल एक बार ही लोकसभा चुनाव जीता तथा एक बार वर्ष 1991 में बाड़मेर संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता जबकि चार बार राज्यसभा के लिए चुने गये।
कांग्रेस के श्री बूटा सिंह वर्ष 1984 में जालोर संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़कर राजस्थान में अपना राजनीतिक प्रभुत्व जमाया। उन्होंने इसके बाद जालोर से 1991, 1998 एवं 1999 में लोकसभा चुनाव जीतकर अपना दबदबा कायम किया। हालांकि श्री सिंह इसके बाद लगातार दो चुनाव हार भी गये। जालोर से भाजपा के देवजी एम पेटल पिछले दो लोकसभा चुनावों में लगातार जीतते आ रहे हैं और उन्होंने जिले में अपना राजनीतिक प्रभुत्व जमा लिया है लेकिन अगले चुनाव में इसे बरकरार रखने की उनके सामने चुनौती रहेगी।
इसी प्रकार सांसद कर्नल सोनाराम ने बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस में रहते वर्ष 1996, एवं 1998 एवं 1999 के चुनावों में लगातार तीन जीत दर्ज कर अपना राजनीतिक प्रभुत्व कायम किया। हालांकि बाद में वह भाजपा में आ गये और वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवार के रुप में चौथी बार लोकसभा पहुंचे। श्री सोनाराम ने दल बदलकर अपना राजनीतिक दबदबा फिर से कायम किया लेकिन इस बार उनके सामने इसे बरकरार रखने की चूनौती रहेगी। बाड़मेर जिले में पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह का भी काफी राजनीतिक प्रभुत्व रहा लेकिन उन्होंने अपने गृह जिले से कभी लोकसभा चुनाव नहीं जीता। पिछले लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिलने पर बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा। बाद में भाजपा ने उन्हें पार्टी से निष्कासित भी किया।
उन्होंने एक बार जोधपुर तथा दो बार चित्तौड़गढ तथा एक बार पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग से लोकसभा चुनाव जीता जबकि पांच बार राज्यसभा के लिए चुने गये। बाड़मेर से उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह भी भाजपा उम्मीदवार के रुप में वर्ष 2004 में चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। श्री मानवेन्द्र सिंह अब कांग्रेस में शामिल हो गये।
अंचल के पाली संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए सोलह चुनाव में आठ बार कांग्रेस ने जीत दर्ज कर अपना दबदबा दिखाया है लेकिन भाजपा के गुमानमल लोढा ने यहां से 1989, 1991 एवं 1996 में लगातार तीन बार जीतकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व कायम किया था। इसी तरह भाजपा के पुष्प जैन ने वर्ष 1999 एवं 2004 का चुनाव जीता। वर्तमान में पाली से सांसद पीपी चौधरी मोदी सरकार में मंत्री है और उनके सामने अपनी राजनीतिक प्रतिष्ठा बनाये रखने की चुनौती होगी।
मारवाड़ अंचल के नागौर संसदीय क्षेत्र में अब तक हुए चुनावों में ग्यारह बार कांग्रेस एवं दो बार भाजपा, एक बार स्वतंत्र पार्टी एवं जनता दल तथा निर्दलीय ने चुनाव जीता। इसी तरह बाड़मेर से कांग्रेस नौ, भाजपा दो, निर्दलीय दो, एक बार राम राज्य परिषद, जनता पार्टी एवं जनता दल चुनाव जीतने में सफल रहा। जोधपुर से कांग्रेस ने आठ, भाजपा चार, निर्दलीय तीन तथा एक बार जनता पार्टी ने चुनाव जीता। इस दौरान पाली से कांग्रेस ने आठ एवं भाजपा ने छह बार चुनाव जीता जबकि जनता पार्टी एवं निर्दलीय एक बार चुनाव जीतने में कामयाब रहे। इसी प्रकार जालोर से कांग्रेस ने नौ बार एवं भाजपा ने चार बार जबकि निर्दलीय, स्वतंत्र एवं जनता पार्टी ने एक बार चुनाव जीता।
जोरा
वार्ता
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