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झुंझुनू से कई बार कटे हैं मौजूदा सांसदों के टिकट

झुंझुनू, 25 मार्च (वार्ता) राजस्थान के झुंझुनू जिले की राजनीति में जीते सांसदों का टिकट कटना कोई नई बात नहीं है। मौजूदा सांसद संतोष अहलावत से पहले भी झुंझुनू लोकसभा सीट से चार बार सांसदों को पार्टी ने बेटिकट कर दिया था।
जानकारों के अनुसार इसका एक बार पार्टी को फायदा हुआ तो तीन बार नुकसान भी उठाना पड़ा था। खास बात यह है कि जिन पांच जीते हुए सांसदों के टिकट कटे, वे सभी गैर कांग्रेसी पृठभूमि के रहेे हैं। वर्तमान सांसद संतोष अहलावत से पहले राधाकृष्ण बिड़ला, कन्हैयालाल महला, ठाकुर भीमसिंह मण्डावा व जगदीप धनकड़ का टिकट भी आलाकमान काट चुका है।
राजनीति जानकारों के अनुसार वर्ष 1967 में स्वतंत्र पार्टी के राधाकिशन बिड़ला ने कांग्रेस के राधेश्याम रामकुमार मोरारका को 46 हजार 573 मतों से हराया था, लेकिन 1971 के लोकसभा चुनाव में स्वतंत्र पार्टी ने अपने सांसद राधाकिशन बिड़ला का टिकट काटकर उस समय देश के सबसे बड़े उद्योगपति कृष्णकुमार बिड़ला को मैदान में उतारा जो कांग्रेस के शिवनाथसिंह गिल से 98 हजार 949 मतों से हार गये। यहां स्वतंत्र पार्टी द्वारा अपने मौजूदा सांसद का टिकट काटना घाटे का सौदा साबित हुआ था।
वर्ष 1977 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ देशभर में लहर थी। उस चुनाव में भारतीय लोकदल (जनता पार्टी) के टिकट पर कन्हैयालाल महला ने 64.44 प्रतिशत मत लेकर कांग्रेस के शिवनाथ सिंह गिल को एक लाख 26 हजार 951 मतों से हराया था। लेकिन अगले ही चुनाव (1980) में जनता पार्टी ने कन्हैयालाल महला का टिकट काट कर मण्डावा के ठाकुर भीमसिंह को अपना प्रत्याशी बनाया। जनता पार्टी के भीमसिंह लोकदल की सुमित्रासिंह को सात हजार 892 मतों से वोटों से हराकर विजयी रहे।
1984 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का गठन हो चुका था। भीमसिंह का जीतने के बावजूद टिकट काट दिया गया। इस चुनाव में कांग्रेस के कैप्टन अयूब खान सांसद चुने गये थे। उन्होंने लोकदल की सुमित्रासिंह को 57 हजार 306 मतों से हराया था। लोकदल की सुमित्रासिंह दूसरे स्थान पर, भाजपा के कुंदन सिंह तीसरे तथा जनता पार्टी के वीरेन्द्र प्रताप सिंह चौथे स्थान पर रहे थे।
1989 के लोकसभा चुनाव में जनता दल के टिकट पर जगदीप धनकड़ ने चुनाव जीता। उन्होंने कांग्रेस के मोहम्मद अयूब खान को 16 हजार 981 मतों से हराया। वर्ष 1989 में भाजपा ने अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार कर गठबंधन के तहत जनतादल प्रत्याशी जगदीप धनकड़ का समर्थन किया था। 1991 के लोकसभा चुनाव में जनता दल ने अपने सांसद धनकड़ का टिकट काट दिया था। जनतादल ने धनकड़ की जगह डॉ चंद्रभान को टिकट दिया, लेकिन चंद्रभान को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। उनकी जमानत जब्त हो गयी थी।
1991 में टिकट नहीं मिलने पर जगदीप धनखड़ जनतादल छोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गये और कांग्रेस टिकट पर अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़े मगर हार गये थे। झुंझुनू से भाजपा ने मदनलाल सैनी(वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य) को मैदान में उतारा था जो उस समय गुढ़ा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक भी थे, लेकिन जीत कांग्रेस के अयूब खान को मिली। वर्ष 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भाजपा की संतोष अहलावत ने कांग्रेस के दिग्गज नेता शीशराम ओला की पुत्रवधू एवं झुंझुनुं की पूर्व जिला प्रमुख डा. राजबाला ओला को बड़े अंतर से हराया था। भाजपा की संतोष अहलावत ने कांग्रेस की डा. राजबाला ओला को दो लाख 33 हजार 834 मतों से करारी शिकस्त दी थी। अहलावत ने जिले में पहली बार भाजपा का कमल खिलाया था, लेकिन इस चुनाव में भाजपा आलाकमान ने अहलावत का टिकट काटकर मण्डावा से भाजपा विधायक नरेन्द्र कुमार खीचड़ को दिया है। टिकट काटने का फायदा होगा या नुकसान इस बात का पता तो परिणाम वाले दिन ही लगेगा।
सर्राफ सुनील
वार्ता
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