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फसलों को बचाने हेतु तारबंदी के लिए 50 प्रतिशत अनुदान-कटारिया

जयपुर 28 जून (वार्ता) राजस्थान के कृषि मंत्री लालचन्द कटारिया ने आज राज्य विधानसभा में कहा कि किसानों को तारबंदी हेतु पेरीफेरी (परिधि) लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम राशि 40 हजार रूपये जो भी कम हो प्रति कृषक 400 रनिंग मीटर तक अनुदान देय है।
श्री कटारिया ने प्रश्नकाल में विधायक कन्हैया लाल के अतारांकित प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि किसानों द्वारा खेतों की सुरक्षा के लिए तारबंदी हेतु सरकार से अनुदान की मांग की जाती रही है। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा वित्तीय वर्ष 2017-18 से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन-तिलहन के अन्तर्गत नीलगाय एवं अन्य जंगली जानवरों से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए सभी श्रेणी के कृषकों को लक्षित कर सामुदायिक आधार पर कांटेदाऱ चैनलिंक तारबंदी कार्यक्रम चालू किया गया है जिसमें कम से कम पांच हैक्टेयर क्षेत्रफल हो एवं तीन कृषको का समूह हो।
उन्होंने बताया कि राज्य में किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले रोजड़ों को कृषकों द्वारा आवेदन करने पर राज्य सरकार ने वन्यजीव (सुरक्षा) अधिनियम, 1972 की धारा 11 (1) (बी) के अन्तर्गत मारने हेतु अधिसूचना 03 मार्च 1994 से उप वन संरक्षकों को, 19 जनवरी 1996 एवं 30 अप्रेल 1997 से क्षेत्रीय वन अधिकारियों रेंजर्स एवं अधिसूचना 31 अगस्त 2000 द्वारा राज्य के समस्त जिलों में पदस्थापित जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, उप खण्ड अधिकारी, पुलिस उप अधीक्षक, सहायक वन संरक्षक, विकास अधिकारी, तहसीलदार, नायब तहसीलदार एवं थाना प्रभारी अधिकारी को परमिट देने हेतु प्राधिकृत किया हुआ है।
श्री कटारिया ने बताया कि फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जंगली सुअरों को मारने की अनुमति देने हेतु राज्य सरकार के आदेश 31 मार्च 1998 की पालना में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, राजस्थान जयपुर द्वारा उप वन संरक्षकों को जिला कोटा, बून्दी, सवाईमाधोपुर, करौली, पाली, सिरोही, उदयपुर, चित्तौडगढ़, झालावाड़, अलवर, जयपुर, डूंगरपुर, जालौर, बीकानेर, तथा श्रीगंगानगर, में अपने-अपने अधिकर क्षेत्र में वन्यजीव अभयारण्यों/राष्ट्रीय उद्यानों से 15 किलोमीटर की परिधि के बाहर प्राधिकृत किया गया है।
रामसिंह
वार्ता
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