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खनन श्रमिकों को सुरक्षा, सम्मान और उपचार की जरुरत

जयपुर, 11 जुलाई (वार्ता) संयुक्त राष्ट्र संघ (व्यवसाय एंव मानवाधिकार) के सदस्य सूर्या देवा ने कहा है कि राज्य एवं केंद्र की सरकार को खनन क्षेत्र की कंपनियों को मानवाधिकारों का पालन करने के लिये पाबंद करना चाहिए जिससे खनन श्रमकों को सुरक्षा, सम्मान और उपचार मिल सके।
श्री सूर्या देवा गुरुवार को खान मजदूर सुरक्षा अभियान ट्रस्ट एवं विकास अध्ययन संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में खनन क्षेत्र में व्यवसाय, मानवाधिकार और उपचार की पहुंच पर आयेाजित एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ (यू.एन.ओ) के व्यवसाय एवं मानवाधिकार के सूचकांक के तीन मुख्य स्तंभ हैं जिसमें सुरक्षा, सम्मान और उपचार को शामिल किया गया है। इसी के तहत राजस्थान में सिलिकोसिस से पीड़ित एवं उनके आश्रितों को उपचार के साथ सहायता राशि दी जाती है।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की हरप्रीत कौर ने कहा कि कोई भी उद्योग या कंपनी चला रहे हैं तो उसमें कार्यरत जो भी काम कर रहें हैं उनकी सुरक्षा एवं कल्याण का दायित्व भी इसे चलाने वाले का ही बनता है। खनन क्षेत्र में श्रमिकों का स्वास्थ्य और सुरक्षा केंद्र सरकार के अधीन है, लेकिन खनन पट्टा देने का दायित्व राज्य सरकार के पास है। लिहाजा राज्य सरकार का यह भी दायित्व बनता है कि वे खनन मालिकों की मार्फत श्रम एंव नियोजन का सम्मान सुरक्षित करावें, ताकि खनन मजदूरों के मानवाधिकार सुरक्षित रहें।
राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग के पूर्व सदस्य आईपीएस डॉ. एम.के. देवराजन ने कहा कि देशभर में खनन क्षेत्र में जो लेाग काम करते हैं उन्हें भी उपचार के साथ सम्मान मिलना चाहिए, ताकि उनका मानवाधिकार सुरक्षित रहे। हम सभी को इनके मानवाधिकारों की रक्षा करनी चाहिए, तभी वे अच्छी जिंदगी जी सकेंगे।
आईपीएस डा.अमनदीप कपूर सिंह ने कहा कि खनन सुरक्षा अधिनियम का पालन करने और कराने की जिम्मेदारी भी हम सभी की है। इन अधिनियमों का पालन समय पर हो तो खनन श्रमिकों को कई तरह की बीमारियों से बचाया जा सकता है और इन्हे आर्थिक रुप से सशक्त बनाया जा सकता है।
सुनील
वार्ता
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