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राजीव ने सरिस्का को दिलाई अन्तर्राष्ट्रीय पहचान

अलवर 20 अगस्त (वार्ता) भारत रत्न एवं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने राजस्थान के अलवर में स्थित सरिस्का बाघ अभयारण्य को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाई थी।
श्री गांधी की 75वीं जयंती के मौके पर इतिहासविद् हरिशंकर गोयल एडवोकेट ने बताया कि 18-19 दिसम्बर 1987 में केबिनेट मिटिंग सरिस्का में आयोजित हुई जिसमें उन्होंने अपने तीन वर्षीय शासन की उपलब्धियों के विश्लेषण करके भविष्य की योजनाओं का निर्माण किया। राजीव गांधी ने सरिस्का टाइगर प्रोजेक्ट को पर्यटन स्थल के रूप में विश्व प्रसिद्धि दिलाई।
तब यहां पर बसे गांवों को नहीं हटाये जाने की मांग तरूण भारत संघ और किसान यूनियन के नेता गोविन्दसिंह पटेल के नेतृत्व में ग्रामीणों ने ज्ञापन दिया और पर्यावरण-जल जंगल जमीन के बारे में विकास किया जाये इस ज्ञापन पर कार्यवाही यह हुई कि गांवों को हटाने को तुरंत रूप दिया गया और इन्हें दूसरी जगह स्थापित करने की योजना के लिए विशेष बजट प्रशासन को दिया गया जिस पर आज तक कार्यवाही हो रही है।
राजीव गांधी वर्ष 1975, 1977 एवं 1987 में सरिस्का आये, लेकिन वह अपने तीन बार के सरिस्का भ्रमण में जंगल के राजा बाघ के दर्शन नहीं कर पाये थे। देश के 27 अभयारण्यों में सरिस्का ही ऐसा क्षेत्र रहा है जहां 2003-04 में अवैध शिकार और प्रशासन की कमजोरियों के कारण टाइगर नहीं रहा। इस पर राष्ट्रीय स्तर का सेमिनार बाबू शोभाराम कला एवं विधि महाविद्यालय में आयोजित हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने टास्क फोर्स का गठन कराकर उसकी रिपोर्ट के आधार पर उन्हें रणथम्बौर सैन्चुरी से लाकर टाइगर को सरिस्का में छोडने का निर्णय लिया गया, जिसके कारणआज सरिस्का में 8 मादायें 5 नर और तीन शिशु मादा विचरण कर रहे हैं।
वर्ष 1928 से पहले यहां भालू (रीछ) भी पाया जाता था। एक भालू को यहां लाकर छोड़ा गया था किन्तु अब वह नहीं है। बारिस-पानी की कमी है, इसलिए वन क्षेत्र पारिस्थितिक वनस्पतियाँ घट रही है पर्यावरण के संबन्ध में ठोस आधार पर कार्य होना चाहिए। सरिस्का क्षेत्र में बाघ के अलावा पशु-पक्षी, मगरम'छ, किला कांकवाडी, नीलकण्ठ महादेव मंदिर जैन तीर्थ और बोध मूर्तियाँ, गूजर प्रतिहार संस्कृति की मूर्तियाँ संग्रहालय में दर्शनीय है।
जैन जोरा
वार्ता
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