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समाज में भेदभाव मिटने तक आरक्षण को नहीं हटाया जा सकता-संघ

अजमेर 09 सितंबर (वार्ता) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने आरक्षण की व्यवस्था को यथावत बनाये रखने का समर्थन करते हुए कहा है कि समाज में भेदभाव मिटने तक इसे नहीं हटाया जा सकता है।
राजस्थान में अजमेर के पुष्कर में आज संपन्न हुई संघ की तीन दिवसीय समन्वय बैठक के बाद पत्रकारो द्वारा पुछे गये सवाल के जवाब में संघ के सरकार्यवाह दतात्रेय हौसबोले ने यह बात कही। उन्होंने बताया कि बैठक में केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 एवं 35ए को हटा कर केन्द्र शासित प्रदेश बनाने का स्वागत किया गया। बैठक में इसे ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में सही विकास के लिए महाद्वार खोलने की संज्ञा दी गई।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कश्मीर को राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने के लिए उनका स्वागत किया गया। एक सवाल के जवाब में श्री दत्तात्रेय ने कहा कि घाटी में संघ के कार्यकर्ता पहले से ही काम कर रहे है और अब ज्यादा सक्रिय रहेंगे। उन्होंने अलगाववादी नेताओं को नजरबंद करने के सवाल पर कहा कि केंद्र सरकार ने जानकारी जुटाने के बाद ही उन्हें नजरबंद किया जिसके क़ई कारण रहे। सरकार कश्मीर में शान्ति बहाल करना चाहती है। नजरबंद और आपातकाल का विश्लेषण करते हुए दत्रात्रेय ने स्पष्ट किया कि आपातकाल तो सत्ता बचाने के लिए लगाई गई थी और जयप्रकाश नारायण जैसे विचारक को भी जेल में डाल दिया गया था।
उन्होंने कहा कि सीमावर्ती क्षेत्रों में सभी संगठनों के द्वारा राष्ट्रभाव जागरण के साथ वहाँ का समाज सुखी, स्वावलंबी हो, ऐसा प्रयास किया जाएगा। राष्ट्रीय नागरिक पंजीयिका (एनआरसी) का उन्होंने स्वागत किया और उसमें जो कमियां रह गई हैं, उनको दूर करने का आहवान किया।
राम मंदिर पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मामला न्यायालय में विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि बैठक में गतवर्ष आंध्रप्रदेश में हुई बैठक की समीक्षा की गई और यह जानने का प्रयास किया गया कि विभिन्न प्रकल्पों के प्रतिनिधियों के अपने अपने क्षेत्रों में सामान्यतः क्या अनुभव रहे। उन्होंने बताया कि बैठक में देश की समस्याओं और अड़चनों के निराकरण पर व्यापक गहन चिंतन एवं मंथन किया गया और तय किया गया कि गुलामी के दौर से दूर रहकर अपने बलबूते पर समाज को खड़ा करने का प्रयास किया जाए जिसकी आज सर्वाधिक जरूरत देश के सीमावर्ती क्षेत्रों को है।
श्री दत्रात्रेय हौसबोले ने बताया कि बैठक में देश को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए उसे नया रूप देने पर मंथन किया गया जिसके तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अभी तक दो लाख लोगों ने मत व्यक्त किए है। आने वाले समय में शिक्षाविदों, अध्यापकों तथा विद्यार्थियों के साथ आधुनिक काल के अनुरूप नया प्रयोग करने की आवश्यकता है। उन्होंने महिलाओं में बढ़ रहे असुरक्षा के भाव को खत्म कर पुनः महिलाओं के सम्मान लौटाने अथवा बनाए रखने के मंथन की भी जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि बैठक में देश के जनजाति क्षेत्रों के विकास को लेकर चिंता व्यक्त की गई और कहा गया कि विश्व में सबसे ज्यादा जनजाति क्षेत्र की आबादी भारत में है और इस दृष्टि से यहां के विकास पर भी काम करने का निर्णय लिया गया। बैठक में कहा गया कि जनजाति समाज भी सामान्य समाज का अंग है जिनके साथ सामानता का व्यवहार होना चाहिए। बैठक में जनजाति क्षेत्र पर संयुक्त प्रयास की वकालत के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन के अधिकार, पानी, सिंचाई, कृषि के कामों को विस्तारित करने पर चर्चा की गई।
अनुराग पारीक रामसिंह
वार्ता
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