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अलवर की प्याज मंडी में आने के बाद भाव में कमी की उम्मीद

अलवर 11 अक्टूबर (वार्ता) देश में प्याज के बढ़ते दामों से जहां प्याज की बिक्री पर असर दिखाई दिया है वहीं पन्द्रह दिन बाद अलवर की प्याज मंडी में आने पर प्याज के भाव में कमी आने की उम्मीद है।
सूत्रों के अनुसार अलवर में हर साल प्याज की पैदावार बढ़ती जा रही है। इस साल भी करीब 14 हजार हेक्टेयर भूमि पर प्याज की खेती की गई है और 15 दिन बाद अलवर के किसानों की प्याज मंडी तक पहुंचना शुरू होगा और यह सिलसिला करीब दो माह तक चलेगा। अलवर में तो प्याज के खुदरा भाव 70 रूपये प्रतिकलो किलो चल रहे हैं और वर्तमान में यह प्याज नासिक और दक्षिण से आ रहे हैं जिससे प्याज की आपूर्ति हो पा रही है।
अलवर की मंडी में प्याज के रेट 20 रुपये थे तब 40 टन की प्याज बिक्री होती थी लेकिन जैसे जैसे भाव बढ़ते रहें वैसे वैसे प्याज की आपूर्ति में कमी होती रही। अब करीब पन्द्रह टन प्याज बिक्री होता है। नासिक और दक्षिण के थोक प्याज के थोक भाव करीब करीब चालीस रूपये प्रतिकलो ही हैं, जो अलवर में खुदरा भाव में 60 से 70 रूपए प्रतिकिलो बिक रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि अलवर का प्याज उत्तर प्रदेश, बंगाल, बिहार, हरियाणा, दिल्ली, मध्यप्रदेश, पंजाब सहित कई राज्यों में जाता है और उत्तम क्वालिटी का प्याज विदेशों में भी निर्यात होता है। अलवर में प्याज का उत्पादन शुरू होने के बाद कई राज्यों के व्यापारी दो माह तक अलवर में डेरा डाल देंगे। कुछ व्यापारी सीधे मंडी से माल खरीदते हैं और कुछ व्यापारी सीधे किसानों से खेतों पर ही माल खरीदते हैं।
अलवर मंडी के थोक प्याज व्यापारी पप्पू भाई सैनी ने बताया कि अलवर का प्याज मंडी में आने के बाद इनके भाव में निश्चित रूप से कमी आएगी। सरकार ने जो निर्यात पर रोक लगाई है वह गलत है क्योंकि इस दौरान फसल पैदा हो रही है इसका सीधा नुकसान किसानों को है। क्योंकि इस बार बरसात अधिक होने से किसानों कि प्याज की फसल पर भी विपरीत असर पड़ा है, ऐसे में निर्यात होने से भाव में गिरावट तो होगी और जिसका सीधा नुकसान किसानों को होगा और इस नुकसान की भरपाई सरकार को करनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि किसान अपनी अपनी सुविधा के हिसाब से मंडी में माल लेकर आते हैं क्योंकि इस बार अलवर में बरसात कम हुई है। जिससे प्याज की पैदावार अच्छी दिखाई दे रही है। क्योंकि अलवर में प्याज का रकबा बढ़ता जा रहा है बरसात ज्यादा होती है तो प्याज के उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ता है, लेकिन इस बार कम बारिश होने से प्याज की फसल बोने वाले किसानों के चेहरे खिले हुए हैं।
पप्पू भाई बताते है कि अलवर में प्याज की पैदावार मंडी में आने के साथ ही देश के कई राज्यों के सैकड़ों व्यापारी प्याज खरीदने आएंगे। उन्होंने बताया कि इस बार किसानों से आग्रह किया गया है कि वह अपने प्याज को 50 किलोग्राम की पैकिंग में ही मंडी में भेजें क्योंकि मजदूरी अधिनियम के तहत मजदूर 50 किलो वजन से ज्यादा नहीं उठा सकता और लंबी दूरी पर जाने वाले प्याज कि अगर बड़ी पैकिंग हुई तो दिक्कत आती है ऐसे में किसानों को 50 किलो की पैकिंग बनाने को कहा गया है।
जैन रामसिंह
वार्ता
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