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आर्थिक मंदी के चलते सरकार के प्रत्यक्ष कर संग्रहण में गिरावट-सीए

जयपुर, 04 जनवरी (वार्ता) राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सीए प्रकोष्ठ ने कहा है कि देश में आर्थिक मंदी के कारण सरकार के प्रत्यक्ष कर संग्रहण में गिरावट आई है।
प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सीए विजय गर्ग ने पदाधिकारियों की आज हुई बैठक में केन्द्र सरकार के सीबीडीटी द्वारा जारी आंकड़ों पर चर्चा के दौरान इन आंकड़ों के आधार पर यह बात कही। श्री गर्ग ने बताया कि प्रत्यक्ष कर संग्रहण की वर्ष 2000 से देखा जाए तो 17 प्रतिशत से अधिक बढोत्तरी रहती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से भाजपा की गलत आर्थिक नीतियों के कारण यह वृद्धि सात प्रतिशत से कम पर रह गई है। इस कारण केन्द्र सरकार ने अपने बजट में जो प्रत्यक्ष कर से आय की गणना की थी वह पूरी नहीं हो पा रही है।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में हाल में पुणे में हुई बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने आयकर अधिकारियों के साथ इस पर चर्चा की एवं चिंता करते हुए सभी अधिकारियों को निर्देश दिये कि आयकर के संग्रहण में किसी भी तरीके से बढ़ोत्तरी कर लक्ष्य को पूरा किया जाये, उसी को देखते हुए सीबीडीटी ने देश के सभी प्रिंसिपल आयकर कमीश्नर को पत्र जारी किये हैं कि टारगेट को यथासम्भव पूरा किया जाये।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में आयकर अधिकारी अपनी मनमर्जी से व्यापारियों के आयकर निर्धारण कर रहे हैं एवं इस निर्धारण प्रक्रिया के तहत् व्यापारी एवं कर सलाहकारों के द्वारा दी गई दलीलें भी नहीं मानी जा रही है एवं अपनी मर्जी से कर निर्धारण कर व्यापारियों पर डिमाण्ड निकाली जा रही है जिसके चलते व्यापारियों में आयकर विभाग के प्रति भय का माहौल बना हुआ है क्योंकि आयकर कानूनों के प्रावधानों के तहत् इन कर निर्धारणों के विरूद्ध अपील करने के लिये डिमाण्ड का 20 प्रतिशत के लगभग जमा कराना होगा अन्यथा आयकर विभाग इन व्यापारियों के बैंक खातों को सीज कर अपने डिमाण्ड की राशि निकाल लेगा। आयकर अधिकारियों के द्वारा मनमर्जी से कर निर्धारण के चलते हुए देश में अपीलों की संख्या में भारी वृद्धि होगी।
श्री गर्ग ने बताया कि सीबीडीटी द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार प्रत्यक्ष कर संग्रहण में लगभग 45 प्रतिशत अग्रिम कर के रूप में, 35 प्रतिशत टीडीएस के रूप में, 10 प्रतिशत सेल्फ कर निर्धारण एवं 10 प्रतिशत आयकर अधिकारियों के द्वारा कर निर्धारण के दौरान जो मांग निकाली जाती है उसके रूप में संग्रहित होता है। इस प्रकार कुल आय का लगभग 80 प्रतिशत अग्रिम कर के रूप में सरकार के पास आता है। वर्ष 2019-2020 के आंकड़ों के अनुसार बजट में लगभग 13.80 लाख करोड़ रूपये प्रत्यक्ष कर से आने की सम्भावनाएं थीं जबकि वर्ष 2019-2020 की प्रथम तिमाही अप्रैल से 15 जून के दौरान 3.3 लाख करोड़ एवं द्वितीय तिमाही 15 जून से 15 सितम्बर के दौरान 2.2 लाख करोड़ तथा तृतीय तिमाही सितम्बर से 15 दिसम्बर 2.5 लाख करोड़ रूपये ही आये हैं। इस प्रकार कुल तीनों तिमाहियों में 8.34 लाख करोड़ रूपये ही इकट्ठा हो पाया है।
उन्होंने बताया कि राजस्थान में यह कर संग्रहण की दर लगभग 9 प्रतिशत से कम है, वर्ष 2018-2019 में 21058 करोड़ रूपये एकत्रित हुआ है जबकि वर्ष 2017-2018 में यह राशि 19201 करोड़ रूपये थी एवं वर्ष 2016-2017 में यह राशि 20182 करोड़ रूपये थी। केन्द्र सरकार की कुल टैक्स आय का लगभग 54 प्रतिशत से अधिक प्रत्यक्ष कर से आय होती है जो कि पिछले कुछ वर्षों से भाजपा सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण घटकर 49 प्रतिशत के लगभग रह गई है।
जारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019-2020 में अप्रैल से सितम्बर में आयकर संग्रहण का लक्ष्य 18 प्रतिशत था जबकि संग्रहण छह प्रतिशत के लगभग हुआ है एवं इन आंकड़ों के अनुसार पिछले 25 तिमाही में सबसे कम जीडीपी की दर भी रही है जो लगभग पांच प्रतिशत है। इन सब जारी आंकड़ों को देखा जाये तो सीबीडीटी द्वारा जो आयकर संग्रहण के लक्ष्य निर्धारित किये गये थे उनको पूरा होना लगभग असम्भव दिख रहा है। वर्ष 2018-2019 में लक्ष्य से लगभग 83000 करोड़ रूपये कम प्रत्यक्ष कर के रूप में संग्रहित हुए हैं। वर्ष 2019-2020 में तीसरी तिमाही तक टारगेट से 45 हजार करोड़ रूपया कम एकत्रित हुआ है। इन आंकड़ों को देखे तो यह देश में आर्थिक मंदी को दर्शाता है।
जोरा
वार्ता
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