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पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई सुविधाएं वापस ली गई

जयपुर, 20 जनवरी (वार्ता) राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई आजीवन मुफ्त सुविधाएं वापस ले ली गई हैं।
यह जानकारी राजस्थान के एडवोकेट जनरल ने आज राजस्थान उच्च न्यायालय में मिलापचंद डण्डिया की ओर से सरकार के विरुद्ध दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान दी।
उल्लेखनीय है कि मई 2017 में तत्कालीन सरकार ने राजस्थान मंत्री वेतन अधिनियम में संशोधन करके पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन मुफ्त सरकारी आवास, मोटर गाड़ी, घरेलू नौकरों सहित दस व्यक्तियों का स्टाफ या इनकी एवज में प्रति महीने निर्धारित धन राशि की व्यवस्था की थी। इसके विरुद्ध डण्डिया ने एक जनहित याचिका दायर करके उच्च न्यायालय से अनुरोध किया था कि ऐसी व्यवस्था संविधान के विरुद्ध है अतः इसे अवैध घोषित किया जाए।
उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका में प्रस्तुत दलीलें स्वीकार करके मंत्री संशोधन विधेयक अवैध घोषित कर दिया था।
डण्डिया की ओर से एडवोकेट विमल चौधरी ने उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति तब ही राज्य के मुख्य सचिव को भेज कर अनुरोध किया था कि वह उच्च न्यायालय के आदेश की अनुपालना कराएं। तीन महीने तक जब सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की तो डण्डिया की ओर से मुख्य सचिव और राज्य सरकार के विरुद्ध अदालत की अवमानना का प्रार्थना पत्र दाखिल किया गया। उनकी अवमानना याचिका सुनवाई के लिए आती उससे पहले राज्य सरकार ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर दी परन्तु सर्वोच्च न्यायालय ने उसे सिरे से खारिज कर दिया।
आज राजस्थान उच्च न्यायालय में डण्डिया की ओर से दाखिल अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल ने अदालत को सूचित किया कि पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया को मकान खाली करने के लिए नोटिस जारी कर दिया है और श्रीमती वसुंधरा राजे को सिविल लाइन्स का बंगला नं. 13 जो पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में आवंटित किया गया था, अब विधायक के रूप में दे दिया गया है। स्टाफ गाड़ी कि जो सुविधाएं दी गई थीं, वे वापस ले ली गई हैं।
सुनील
वार्ता
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