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पुलिस थाने में युवक की मौत के मामले में थानाधिकारी निलंबित, अन्य जाब्ता लाइन हाजिर

जयपुर, 28 फरवरी (वार्ता) राजस्थान में बाड़मेर ग्रामीण थाने में पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामले में पुलिस अधीक्षक एवं उपाधीक्षक को हटाने के साथ थानाधिकारी को निलंबित तथा थाने के अन्य सभी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है तथा मामले की न्यायिक जांच की जा रही है।
संसदीय कार्य मंत्री शांतिकुमार धारीवाल ने आज विधानसभा में शून्यकाल में इस मामले में दिये वक्तव्य में बताया कि एफआईआर दर्ज किए बगैर युवक को रातभर थाने में बिठाने के कारण थानाधिकारी दीप सिंह चौहान को तुरंत प्रभाव से निलम्बित किया गया है। थाने पर पदस्थापित सम्पूर्ण जाब्ता दो सहायक उप निरीक्षक, दो हैड कांस्टेबल एवं 14 कांस्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया गया है जबकि जिला पुलिस अधीक्षक एवं उपाधीक्षक को एपीओ किया गया है।
उन्होंने बताया कि घटना की प्राथमिक जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बालोतरा को सौंपी गई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि पीड़ित के परिवार को आर्थिक मदद के लिए भी सरकार की ओर से विचार किया जाएगा।
श्री धारीवाल ने बताया कि इस प्रकरण की न्यायिक जांच के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बाड़मेर ने न्यायिक मजिस्ट्रेट बाड़मेर को नियुक्त किया है जो मामले की जांच कर रहे है। जितेन्द्र के शव राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर के मोर्चरी में रखवाया गया है। अभी तक मृतक का पोस्टमार्टम नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि बाड़मेर जिले के हमीरपुरा निवासी जितेन्द्र खटीक उर्फ जीतू (25) को चोरी के संदेह में गत 26 फरवरी को अपरह्न तीन बजे बाड़मेर ग्रामीण थाने में लाया गया था। उसने दूसरे दिन 27 फरवरी को दोपहर डेढ़ बजे पुलिस अभिरक्षा में अचानक सीने में दर्द होकर चक्कर आने की शिकायत की, जिस पर तुरंत राजकीय अस्पताल बाड़मेर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
श्री धारीवाल ने बताया कि बाड़मेर ग्रामीण थानाधिकारी की ओर से इस संबंध में मर्ग संख्या दो सताईस फरवरी को धारा 176 के तहत दर्ज किया गया है कि जिला स्पेशल टीम के कांस्टेबल किशोरकुमार ने ईतला दी कि न्यू कवास बाड़मेर मगरा में एक कब्बाड़ी बाड़ा में अभी एक वाहन द्वारा पाइप लाकर खाली किए हैं जो चोरी के हो सकते हैं। इस पर जितेन्द्र बाड़मेर ग्रामीण थाने लाया गया।
उन्होंने बताया कि मृतक के भाई परिवादी धर्मेन्द्र कुमार की रिपोर्ट पर दंड सहिता की धारा 143, 342, 302 एवं एससी-एसटी एक्ट बाड़मेर ग्रामीण थाने पर दर्ज कर एससी-एसटी सेल के पुलिस उपाधीक्षक बाड़मेर की ओर से जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि यह घटना पुलिस अभिरक्षा में मौत से संबंधित होने पर प्रकरण का अनुसंधान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीआईडी (सीबी) रेंज सेल जोधपुर के हवाले किया गया है जो बाड़मेर पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि जयपुर से अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सिविल राइट्स) एवं व जोधपुर रेंज पुलिस महानिरीक्षक मौके पर पहुंच गए हैं।
इससे पहले इस मामले में सदन में हुई चर्चा के दौरान प्रतिपक्ष नेता गुलाब चंद कटारिया ने इस मामले में सरकार द्वारा सख्त कदम उठाने की मांग करते हुए कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार को विचार कर तय करना चाहिए तथा नियम बनाने की जरुरत पड़ने पर नियम बनाकर इसके प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए। प्रतिपक्ष उपनेता राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने इस मामले की केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराई जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस मामले में मृतक के आश्रित को एक करोड़ रुपए का मुआवजा एवं सरकारी नौकरी देनी चाहिए। इसी तरह विधायक जोगेश्वर गर्ग ने भी इसी तरह की मांग की। विधायक मेवाराम जैन ने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच कराने तथा दोषियों को नहीं बख्शने की मांग की। उन्होंने कहा कि शव का पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से कराने तथा मृतक के आश्रित को सरकारी नौकरी देनी चाहिए।
इस मामले में विपक्ष के सदस्य वेल में आकर नारेबाजी की तथा मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। सदस्यों के वेल में आकर नारेबाजी करने से सदन में शोरगुल हुआ।
जोरा
वार्ता
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