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अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लाने की मांग

जयपुर 07 मार्च (वार्ता) राजस्थान विधानसभा में आज अधिवक्ताओं की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लाने तथा वकीलों को उनके कल्याण कोष से मृत्यु होने पर मिलने वाली राशि को और बढ़ाये जाने की मांग की गई।
विधानसभा में राजस्थान अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक 2020 पर हुई चर्चा में विधायकों ने यह मांग की। संशेाधन विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि अधिवक्ता कलयाण निधि में सरकार को भी अंश डाला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वकीलों के लिए प्रोत्साहन निधि लानी चाहिए तथा गरीब आदमी को नि:शुल्क वकालत के लिए स्थाई फण्ड का प्रावधान किया जाना चाहिए।
विधायक अशोक लाहोटी ने कहा कि नये अधिवक्ता का पंजीयन शुल्क बढ़ाया जाना सही नहीं है। उन्होंने कहा कि वकीलों को कार्यालय एवं अन्य सुविधा के लिए दो लाख रुपए का ऋण भी दिया जाने का इसमें प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अधिवक्ता की मृत्यु पर दिये जाने वाली राशि को बढ़ाकर आठ लाख रुपए की बजाये बीस लाख रुपए की जानी चाहिए जबकि सेवानिवृत्ति पर पन्द्रह लाख रुपए की जगह 35 लाख रुपए किये जाने चाहिए। उन्होंने मध्यप्रदेश की तर्ज पर वकीलो की सुरक्षा के लिए एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट लाये जाने की मांग की।
विधायक बिहारी लाल ने बीकानेर में उच्च न्यायालय की पीठ एवं ट्रिब्यूनल कोर्ट खोलने की मांग की। विधायक छगन सिंह ने कहा कि अधिवक्ता को बीमार होने पर दी जाने वाली राशि का प्रावधान की जगह अधिवक्ता के बीमारी का ईलाज का संपूर्ण खर्चा दिये जाने का प्रावधान किया जाना चाहिए। विधायक धर्मनारायण जोशी ने कहा कि अधिवक्ता के बीमार होने पर उसका निजी अस्पताल में भी ईलाज करा सकने का प्रावधान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उदयपुर में उच्च न्यायालय की पीठ खोली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह मांग पिछले कई सालों से की जा रही है।
विधायक वासुदेव देवनानी ने अजमेर में अधिवक्ता भवन बनाने तथा वकीलों की सुरक्षा के लिए प्रोटेक्शन एक्ट लाने की बात कही। विधायक मदन दिलावर ने कहा कि अधिवक्ताओं को बिना ब्याज के ऋण देने की व्यवस्था होनी चाहिए। विधायक अविनाश ने कहा कि जो वकील प्रेक्टिस करते हैं उन्हें ही कलयाण निधि का फायदा मिलना चाहिए, अगर कोई वकील घर बैठा हैं और बराबर वकालत के लिए नहीं आ रहा है तो उसे इसका फायदा नहीं दिया जाना चाहिए।
चर्चा के आखिरी में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि इस संशोधन विधेयक से सरकार को कोई भार नहीं पड़ेगा। इसमें पैसे वकील एवं जनता से लिये जा रहे है। उन्होंने कहा कि केवल 40 प्रतिशत वकील ही प्रेक्टिस करते हें कई तो केवल वकालत करने की केवल एंट्री करते है। उन्होंने कहा कि निधि का पैसा उन्हें मिले जो वकालत कर रहे है।
जोरा
वार्ता
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