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चंबल बीहड में कुख्यात गैंगस्टर दुबे को ढूंढना कठिन कार्य

धौलपुर 07 जुलाई (वार्ता) उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात क्षेत्र में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या करने का आरोपी कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे अगर चंबल के बीहड़ों में पहुंच गया है तो उसे तलाशना पुलिस के लिए टेडा काम होगा।
चंबल के बीहड़ अपराधियों की शरणगाह रहे हैं। जब उन पर अधिक दबिश पड़ती है, तो वे केवल चंबल के बीहड़ को ही अपना ठिकाना बनाते हैं। बरसात आते ही बीहड़ में अपराधी को तलाशना बेहद मुश्किल काम है। क्योंकि वहां काफी संख्या में हरी घास उग आई है जिससे टेकरी पर छिपा अपराधी
इटावा के रास्ते तीन राज्यों की सीमाओं को जोड़ने वाले आगरा सेंटर को उसने अपनी मंजिल बनाया है। यह वो जगह है, जहां से सिर्फ 30 मिनट के वक्त में उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश और राजस्थान में आया और जाया जा सकता है। इसी के चलते विकास दुबे के नेपाल भागने की कम ही उम्मीद जताई जा रही है।
दूसरी वजह यह भी है कि चीन विवाद के चलते इस वक्त नेपाल बॉर्डर पर सख्त पहरा है। पहले भी कुख्यात अपराधी इस तीन राज्यों की सीमाओं वाले इस सेंटर का फायदा उठा चुके हैं।
गौरतलब रहे कि स्पेशल टास्क फोर्स के अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस के 40 थानों का फोर्स विकास दुबे की तलाश में है। आठ पुलिस वालों की हत्या और 2.50 लाख रुपए के इनामी फिर भी विकास दुबे को मोस्ट वांटेड क्रिमिनल नही ंघोषित किया गया है।
सूत्रो ने बताया कि जिस तरह से औरैया में विकास दुबे की आखिरी लोकेशन ट्रेस हुई है, तो उससे बहुत संभावना है कि उसने इटावा के रास्ते चंबल के बीहड़ का रास्ता पकड़ लिया हो। बीहड़ के अंदर से होते हुए आगरा तथा वहां से चंबल में पहुंचा जा सकता है। आगरा पहुंचने के बाद मध्यप्रदेश और राजस्थान में दाखिल होना आसान है।
कुख्यात अपराधियों के मामले में अक्सर देखा गया है कि सेटिंग के चलते दो स्टेट की पुलिस में कोऑर्डिनेशन बनना मुश्किल हो जाता है या फिर दूसरे स्टेट की पुलिस दिखावे के लिए अपने यहां सर्च ऑपरेशन चलाती है, लेकिन अपराधी उसके यहां छिपा बैठा रहता है। बीहड़ के कितने ही बागी इस झोल का फायदा उठाकर आतंक का खूनी खेल खेलते रहे हैं। दूसरी बात यह भी है कि बारिश के मौसम में चंबल नदी में पानी आ जाता है। बारिश के चलते हरियाली भी उग आती है। ऐसे में अगर चंबल की किसी टेकरी के पास से पुलिस के 10 ट्रक भी गुजर जाएं तो यह पता लगाना मुश्किल हो जाएगा कि टेकरी के पीछे कौन छिपा बैठा है।
मंगल रामसिंह
वार्ता
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