राज्य » राजस्थानPosted at: Jul 13 2020 2:54PM मनरेगा के सहारे परिवार पाल रहे हैं गुरूजीझुंझुनू, 13 जुलाई (वार्ता) राजस्थान में झुंझुनू जिले में कई अध्यापक इन दिनों मनरेगा में मजदूरी करके अपने परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। जिले के इस्लामपुर गांव के सुंदर लाल गोयन लॉकडाउन से पहले निजी स्कूल में पढ़ा रहे थे, लेकिन अब स्थिति भिन्न है। स्कूल बंद रहने से उनकी अध्यापक की नौकरी जाती रही। इस कारण उन्होंने मनरेगा में काम करने का रास्ता चुना है। उन्होंने बताया कि 2012 से लगातार निजी स्कूल में पढ़ा रहे थे, मगर अब मजबूरी में परात फावड़ा लेकर नरेगा में काम कर अपने परिवार का पालन कर रहे हैं। वही विजय सिंह ने बताया कि वह भी एक निजी स्कूल में पढ़ा रहे थे, लॉकडाउन के चलते उनकी पगार मिलना बंद हो गयी तो गुजारे के लिये मजबूरी में मनरेगा के तहत फावड़े चलाना पड़ रहे हैं। नवीन भूरिया इलेक्ट्रीशियन में आईटीआई कर चुके हैं। अब घर चलाने के लिए नरेगा में जा रहे हैं। धमोरा गांव के विष्णु शर्मा जोधपुर जिले के एक निजी स्कूल में संस्कृत पढ़ाते थे। अब कोरोना संकट के बाद स्कूल बंद होने के कारण गांव में ही अपनी पारिवारिक दुकान पर काम करते हैं। इसी प्रकार राजू की सैलून काफी दिन बंद रहने के कारण वह नरेगा में काम करने लगा था। मगर एक पखवाड़े के बाद उसको काम से हटा दिया गया। अब वह फिर से अपनी सैलून पर काम करने लगा है। कोरोना संकट के बाद जिले में हजारों की तादाद में उच्च शिक्षित युवक जो विभिन्न स्थानों पर या तो अच्छा काम कर रहे थे या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। उन सबको घर आना पड़ा और पिछले चार महीने से लगातार घर रहने के कारण उनके परिवार के समक्ष आर्थिक संकट व्याप्त हो गया। ऐसे में उन्होंने मनरेगा में काम कर अपना गुजारा करना ही उचित समझा। जिले के बहुत से युवा जो दूसरे प्रदेशों में प्राइवेट कम्पनियों में काम करते थे। कोरोना संकट के चलते बेरोजगार हो गए। उनमे से बहुत से लोग अब गांवों में खेती किसानी में जुट गए हैं। हालांकि गांव में व्याप्त राजनीति के चलते मनरेगा में लोगों को पर्याप्त मजदूरी नहीं मिल पा रही है। क्योंकि काम का टास्क नहीं बैठने से निर्धारित मजदूरी 220 रूपये प्रतिदिन के स्थान पर लोगों को बहुत कम पैसे मिल रहे हैं। इसका कारण मनरेगा में बहुत से ऐसे लोग काम पर लगे हुए हैं जो अपना निर्धारित काम पूरा नहीं कर पाते हैं। जिससे उस ग्रुप के अन्य लोगों के काम की टास्क कम बैठती है। फलस्वरूप उनको कम भुगतान मिलता है। मनरेगा में कार्यरत बहुत से लोगों का कहना है कि यदि हम सब को व्यक्तिगत टास्क दी जाए तो हम हमारा निर्धारित काम पूरा कर पूरी मजदूरी प्राप्त कर सकते हैं।सराफ सुनीलवार्ता